शनिवार, 26 मई 2018

अमृत चन्द्र मन्त्र

'चन्द्र ग्रहण' व पूर्णिमा की रात्रि समस्त योगी जन 'अमृत मण्डल' में ध्यान लगाते हैं। वास्तविक चन्द्र तो देवता हैं किन्तु उनके पिण्डज रुपी चन्द्रमा समस्त ब्रह्माण्ड में स्थित हैं। एक हमारे भीतर है और एक पृथ्वी के चारों और स्थित घूर्णन करता हुआ है।
आगम-निगम पूर्णिमा,अमावस और चन्द्र ग्रहण काल को दिव्यकाल कहते हैं। जो साधना का काल है 'ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ' नें अपने सभी भैरव-भैरवियों हेतु एक मंत्र दिया है जो आप अवश्य जपें।
मंत्र - ॥ ॐ चं ह्रीं क्षौं हुं सोमाय नमः ॥