इस खोज के पथ पर बढ़ने का साहस हर किसी के बस का नहीं है। यहाँ तो बड़े-बड़े धुरंधर भी भाग खड़े होते हैं। लेकिन शिव भक्तों की बात ही निराली है। वो शिव के मार्ग पर चलते हैं और अपने शिव की ऐसी साधनाएं करते हैं कि सत्य प्रकट हुए बिना रह नहीं पाता। जीवन के अभाव, जीवन की कमजोरियां, दुःख और पीड़ाएँ उस साधक के सम्मुख ठहर कहाँ सकती हैं जिसनें 'महाकाल रूद्र' की शरण ले रखी हो। आस्तिक योगी 'काल ग्रंथी' के भीतर इसी 'महाकाल रूद्र' की शक्ति को भेदन कर प्राप्त करता है और साधक साधना के मंत्र मार्ग द्वारा। 'कौलान्तक परंपरा' में योगियों नें योग और मंत्र की विपरीत साधनाओं को आपस में ऐसे गूंथ लिया की देखने वाला भी हतप्रभ रह जाए। 'महाकाल रूद्र' की साधना कोई सरल कार्य नहीं है। किन्तु यदि आपको स्वयं 'महाकाल रूद्र' इसके निमित्त चुनते हैं तो आप इस मार्ग पर कदम बढ़ा पाते हैं। ये याद रखना चाहिए की ये कोई आम प्रवचन या योगशाला नहीं है साधना का रणक्षेत्र है। आप इन साधनाओं को तभी प्राप्त कर पाते हैं जब वो समय आ जाता है। अन्यथा लौटने वाले तो मीठी पानी की झील के किनारे पहुँच कर भी प्यासे लौट जाते हैं। इष्ट पर विश्वास नहीं, गुरु पर विश्वास नहीं तो इस पथ के बारे में सोचना भी नहीं। जब जीवन में कृत्रिम धर्म, अध्यात्म से मन भर जाए और भीतरी रुदन शुरू हो तभी 'महाकाल रूद्र' कृपा करते हैं। यदि आपकी स्थिति ऐसी है। आपको अब ना विज्ञान, ना ज्ञान, ना धर्म, ना संसार ठीक लगता हो, तो समय है इस साधना के पथ पर चल कर 'महाकाल रूद्र' की सत्ता से जुड़ने का। इस संसार से अलग 'कौलान्तक पीठ' का अपना एक संसार है। जिसमें रहने के लिए आपको हमारे सभी नियमों को मानना ही होगा। क्योंकि हमारा ज्ञान परम्पराओं पर आधारित है, हम उनका पालन हर हाल में करेंगे। बाहरी कलियुगी संसार से लोग अपनी विकृत मानसिकता ले कर यहाँ आते हैं तो भी हमारा प्रयास उनकी सहायता का रहता है। लेकिन सब 'महाकाल रूद्र' पर ही निर्भर करता है। 'महाकाल रूद्रसाधना' में व कौलान्तक पीठ की परंपरा में, बहुत सी बाते अवैज्ञानिक, अतार्किक व रूढ़िवादी है। जिनको हमारे आलोचक अन्धविश्वास व फर्जीवाड़ा भी कहते है। - कौलान्तक पीठ हिमालय
शनिवार, 26 मई 2018
महाकाल रुद्र साधना
इस खोज के पथ पर बढ़ने का साहस हर किसी के बस का नहीं है। यहाँ तो बड़े-बड़े धुरंधर भी भाग खड़े होते हैं। लेकिन शिव भक्तों की बात ही निराली है। वो शिव के मार्ग पर चलते हैं और अपने शिव की ऐसी साधनाएं करते हैं कि सत्य प्रकट हुए बिना रह नहीं पाता। जीवन के अभाव, जीवन की कमजोरियां, दुःख और पीड़ाएँ उस साधक के सम्मुख ठहर कहाँ सकती हैं जिसनें 'महाकाल रूद्र' की शरण ले रखी हो। आस्तिक योगी 'काल ग्रंथी' के भीतर इसी 'महाकाल रूद्र' की शक्ति को भेदन कर प्राप्त करता है और साधक साधना के मंत्र मार्ग द्वारा। 'कौलान्तक परंपरा' में योगियों नें योग और मंत्र की विपरीत साधनाओं को आपस में ऐसे गूंथ लिया की देखने वाला भी हतप्रभ रह जाए। 'महाकाल रूद्र' की साधना कोई सरल कार्य नहीं है। किन्तु यदि आपको स्वयं 'महाकाल रूद्र' इसके निमित्त चुनते हैं तो आप इस मार्ग पर कदम बढ़ा पाते हैं। ये याद रखना चाहिए की ये कोई आम प्रवचन या योगशाला नहीं है साधना का रणक्षेत्र है। आप इन साधनाओं को तभी प्राप्त कर पाते हैं जब वो समय आ जाता है। अन्यथा लौटने वाले तो मीठी पानी की झील के किनारे पहुँच कर भी प्यासे लौट जाते हैं। इष्ट पर विश्वास नहीं, गुरु पर विश्वास नहीं तो इस पथ के बारे में सोचना भी नहीं। जब जीवन में कृत्रिम धर्म, अध्यात्म से मन भर जाए और भीतरी रुदन शुरू हो तभी 'महाकाल रूद्र' कृपा करते हैं। यदि आपकी स्थिति ऐसी है। आपको अब ना विज्ञान, ना ज्ञान, ना धर्म, ना संसार ठीक लगता हो, तो समय है इस साधना के पथ पर चल कर 'महाकाल रूद्र' की सत्ता से जुड़ने का। इस संसार से अलग 'कौलान्तक पीठ' का अपना एक संसार है। जिसमें रहने के लिए आपको हमारे सभी नियमों को मानना ही होगा। क्योंकि हमारा ज्ञान परम्पराओं पर आधारित है, हम उनका पालन हर हाल में करेंगे। बाहरी कलियुगी संसार से लोग अपनी विकृत मानसिकता ले कर यहाँ आते हैं तो भी हमारा प्रयास उनकी सहायता का रहता है। लेकिन सब 'महाकाल रूद्र' पर ही निर्भर करता है। 'महाकाल रूद्रसाधना' में व कौलान्तक पीठ की परंपरा में, बहुत सी बाते अवैज्ञानिक, अतार्किक व रूढ़िवादी है। जिनको हमारे आलोचक अन्धविश्वास व फर्जीवाड़ा भी कहते है। - कौलान्तक पीठ हिमालय
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