"कौल कुल" को श्रेष्ठ कुल कहा जाता है। इस कुल की विशेषता ये है की ये अपने रहस्यों को प्रकट नहीं करता। यदि साधक धैर्य रखता है। गुरु की अनूठी और अबूझ परीक्षाओं को उत्तीर्ण करता है तो साधक को मिलता है मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा पुरूस्कार यानि ६४ कला संपन्न होना। इसी कारण "कौल मत" को "महाहिन्दू" मत भी कहा जता है। "कौल संप्रदाय" सिद्धों पर आधारित होता है। जो इतने रहस्यमय और मायावी होते है की उनके साथ रहने वाले और जीने वाले भी उनको नहीं जानते। कौल सिद्धों का मंत्र आपकी पात्रता का निर्माण करता है। इस लिए लगातार जप ही सिद्धि देने वाला होता है। ऐसा कहा गया है । - कौलान्तक पीठ हिमालय
शुक्रवार, 18 मई 2018
कौल तन्त्र
"कौल कुल" को श्रेष्ठ कुल कहा जाता है। इस कुल की विशेषता ये है की ये अपने रहस्यों को प्रकट नहीं करता। यदि साधक धैर्य रखता है। गुरु की अनूठी और अबूझ परीक्षाओं को उत्तीर्ण करता है तो साधक को मिलता है मनुष्य जीवन का सबसे बड़ा पुरूस्कार यानि ६४ कला संपन्न होना। इसी कारण "कौल मत" को "महाहिन्दू" मत भी कहा जता है। "कौल संप्रदाय" सिद्धों पर आधारित होता है। जो इतने रहस्यमय और मायावी होते है की उनके साथ रहने वाले और जीने वाले भी उनको नहीं जानते। कौल सिद्धों का मंत्र आपकी पात्रता का निर्माण करता है। इस लिए लगातार जप ही सिद्धि देने वाला होता है। ऐसा कहा गया है । - कौलान्तक पीठ हिमालय
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