मंगलवार, 21 मई 2019

ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ के शुभ विचार - 4

कलियुग है ! शास्त्रानुसार तो ये बुरा समय आना ही था । इसे रोकना मुश्किल है । हर ओर अधर्मियों का साम्राज्य हो चुका है । तो हम क्या हाथ बांधे बैठे रहे ? ये मुझसे तो न होगा, तुम्हारी तुम जानो । मैं लड़ूंगा इस पूरी व्यवस्था से । अन्त की चिंता किसे है ? मेरे मन में सतयुग का साम्राज्य है और मैं एक योद्धा हूं । हारना जीतना तो लगा रहेगा, प्रयास है कि अभी और यहीं सतयुग हो ।

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