क्या है रुद्राक्ष और रुद्राक्ष का महत्व?
कौलान्तक पीठ हिमालय: रुद्राक्ष यानी जिसे रुद्र का अक्ष यानी आंसू कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति रूद्र यानी भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्षों को आध्यात्मिक योगिक आभूषण की तरह धारण किया जाता रहा है। ये मान्यता है कि रुद्राक्ष इस धरती पर अकेली ऐसी वस्तु है, जिसमें स्वयं शिव का तेज शक्ति के रूप में विद्यमान रहता है। रुद्राक्ष की महिमा से बहुत से ग्रन्थ भरे पड़े हैं। रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर तीस मुखी तक पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त भी रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं जैसे गौरी-शंकर रुद्राक्ष, गणपति रुद्राक्ष, भद्राक्ष। साथ ही रुद्राक्ष के तीन प्रमुख रंग भी होते हैं काला,लाल और पीला। रुद्राक्ष कैसे धारण करें? इसके कुछ नियम है-
- रुद्राक्ष को कलाई, गला और हृदय पर धारण किया जा सकता है।
- इसे गले में धारण करना सर्वोत्तम होगा। वहीं कलाई में 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 दानों को धारण करना चाहिए।
- हृदय तक लाल धागे में एक दाना रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
- सावन में, सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सबसे अच्छा होता है। रुद्राक्ष धारण करने के पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए।
- उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के बहुत से लाभ हैं किन्तु कुछ साधारण लाभ निम्न हैं।
- रुद्राक्ष को लेकर मान्यता है कि इसको धारण करने से कई तरह की शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- वैज्ञानिक परिक्षण में भी यह बात साबित हो चुकी है कि दिल के रोगियों में रुद्राक्ष धारण करने से बहुत फायदा होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा होती है। जीवन में सभी सुख सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं।
- इसे धारण करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है।
- रुद्राक्ष धारण करने से कठिन साधना करने के बाद मिलने वाले फल के बराबर लाभ होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही वो भाग्यशाली भी बनते हैं।
रुद्राक्ष के मुख से उनकी उपयोगिता और अधिक बनती है। एक मुखी रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ माना गया है जबकि पंचमुखी सभी के लिए समान रूप से उपयोगी बताया गया है। यदि रुद्राक्ष को मंत्र सहित धारण किया जाए तो आध्यात्मिक बल में भी वृद्धि होती है। शिवलिंग पर रुद्राक्ष अर्पित करना महापुण्यदायक कहा गया है। रुद्राक्ष को छूना और देखना भी इच्छित क्षेत्र में उन्नति देने वाला होता है।
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कौलान्तक पीठ हिमालय: रुद्राक्ष यानी जिसे रुद्र का अक्ष यानी आंसू कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार रुद्राक्ष की उत्पत्ति रूद्र यानी भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। रुद्राक्षों को आध्यात्मिक योगिक आभूषण की तरह धारण किया जाता रहा है। ये मान्यता है कि रुद्राक्ष इस धरती पर अकेली ऐसी वस्तु है, जिसमें स्वयं शिव का तेज शक्ति के रूप में विद्यमान रहता है। रुद्राक्ष की महिमा से बहुत से ग्रन्थ भरे पड़े हैं। रुद्राक्ष एक मुखी से ले कर तीस मुखी तक पाए जाते हैं। इसके अतिरिक्त भी रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं जैसे गौरी-शंकर रुद्राक्ष, गणपति रुद्राक्ष, भद्राक्ष। साथ ही रुद्राक्ष के तीन प्रमुख रंग भी होते हैं काला,लाल और पीला। रुद्राक्ष कैसे धारण करें? इसके कुछ नियम है-
- रुद्राक्ष को कलाई, गला और हृदय पर धारण किया जा सकता है।
- इसे गले में धारण करना सर्वोत्तम होगा। वहीं कलाई में 12, गले में 36 और ह्रदय पर 108 दानों को धारण करना चाहिए।
- हृदय तक लाल धागे में एक दाना रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं।
- सावन में, सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सबसे अच्छा होता है। रुद्राक्ष धारण करने के पहले उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए।
- उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने के बहुत से लाभ हैं किन्तु कुछ साधारण लाभ निम्न हैं।
- रुद्राक्ष को लेकर मान्यता है कि इसको धारण करने से कई तरह की शारीरिक समस्याएं दूर हो जाती हैं।
- वैज्ञानिक परिक्षण में भी यह बात साबित हो चुकी है कि दिल के रोगियों में रुद्राक्ष धारण करने से बहुत फायदा होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति पर महालक्ष्मी की कृपा होती है। जीवन में सभी सुख सुविधाएं प्राप्त हो जाती हैं।
- इसे धारण करने से हर तरह की मनोकामना पूरी होती है।
- रुद्राक्ष धारण करने से कठिन साधना करने के बाद मिलने वाले फल के बराबर लाभ होता है।
- रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति को अपने पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही वो भाग्यशाली भी बनते हैं।
रुद्राक्ष के मुख से उनकी उपयोगिता और अधिक बनती है। एक मुखी रुद्राक्ष सर्वश्रेष्ठ माना गया है जबकि पंचमुखी सभी के लिए समान रूप से उपयोगी बताया गया है। यदि रुद्राक्ष को मंत्र सहित धारण किया जाए तो आध्यात्मिक बल में भी वृद्धि होती है। शिवलिंग पर रुद्राक्ष अर्पित करना महापुण्यदायक कहा गया है। रुद्राक्ष को छूना और देखना भी इच्छित क्षेत्र में उन्नति देने वाला होता है।
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