शिव कौन है?
कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज को कुछ प्यारे भक्तों नें कहा की आप साक्षात शिव है....महायोगी जी नें मुस्कुराते हुए उत्तर दिया........मैं शिव नहीं आप शिव हो इसलिए जहाँ देखते हो जिसे देखते हो शिव ही देखते हो.......ये आपके प्रेम की वो ऊँचाई है.....और भक्ति की वो पराकाष्ठा की मुझ जैसे साधारण औघड़ में भी शिव नजर आते हैं.........ये सृष्टि जिस भाव से देखेंगे वैसी ही नजर आती है. जब साधक शिवमय हो कर अपने अस्तित्व को शिव में विलीन कर देता है तो उसे त्रिशूल में शिव, डमरू में शिव, गंगा में शिव, चंद्रमा में शिव, पर्वतों में शिव, गुरु में शिव यहाँ तक की मुझ जैसे अज्ञानी में भी साक्षात् शिव नजर आते हैं. मुझमें शिव देखना मेरा नहीं आपके अपने उच्चतम चेतन धरातल का सूचक है. इसलिए मैं नहीं आप स्वयं शिव हो. आपके घट-घट में शिव का वास है. आप शिव भक्ति के कारण नित्य हो गए हो.....साक्षात् शिव हो गए हो. इसी कारण मुझमें भी शिव ही देखते हो, धन्य है आपकी शिव दृष्टि-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज को कुछ प्यारे भक्तों नें कहा की आप साक्षात शिव है....महायोगी जी नें मुस्कुराते हुए उत्तर दिया........मैं शिव नहीं आप शिव हो इसलिए जहाँ देखते हो जिसे देखते हो शिव ही देखते हो.......ये आपके प्रेम की वो ऊँचाई है.....और भक्ति की वो पराकाष्ठा की मुझ जैसे साधारण औघड़ में भी शिव नजर आते हैं.........ये सृष्टि जिस भाव से देखेंगे वैसी ही नजर आती है. जब साधक शिवमय हो कर अपने अस्तित्व को शिव में विलीन कर देता है तो उसे त्रिशूल में शिव, डमरू में शिव, गंगा में शिव, चंद्रमा में शिव, पर्वतों में शिव, गुरु में शिव यहाँ तक की मुझ जैसे अज्ञानी में भी साक्षात् शिव नजर आते हैं. मुझमें शिव देखना मेरा नहीं आपके अपने उच्चतम चेतन धरातल का सूचक है. इसलिए मैं नहीं आप स्वयं शिव हो. आपके घट-घट में शिव का वास है. आप शिव भक्ति के कारण नित्य हो गए हो.....साक्षात् शिव हो गए हो. इसी कारण मुझमें भी शिव ही देखते हो, धन्य है आपकी शिव दृष्टि-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
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