निशाचर और भूत प्रेत भी मानव बन कर आएंगे,
कोई तर्क देगा अधर्म का
कोई नए षड्यंत्र रचे ।
कोई साधु को कहे पाखंडी,
कोई न धर्म पथिक होंगे ।
जिस धरती पर ऋषि-मुनि थे,
नास्तिक केवल होंगे ।
बनाके मंडल समूह फिर वो राज-राज में जाएंगे,
एक-एक संतन का नाम ले,
कोई तर्क देगा अधर्म का
कोई नए षड्यंत्र रचे ।
कोई साधु को कहे पाखंडी,
कोई न धर्म पथिक होंगे ।
जिस धरती पर ऋषि-मुनि थे,
नास्तिक केवल होंगे ।
बनाके मंडल समूह फिर वो राज-राज में जाएंगे,
एक-एक संतन का नाम ले,
कपटी उन्हें बताएंगे ।
धन की ऐसी माया चलेगी,
सब संतन गिर जाएंगे ।
जिन्होंने रोटी साथ हो खाई,
धन की ऐसी माया चलेगी,
सब संतन गिर जाएंगे ।
जिन्होंने रोटी साथ हो खाई,
वही कलंक लगाएंगे ।
कुलटा रूप बदल कर आए उ.....,
कुलटा रूप बदल कर आए,
संत चरण में गिर जाए ।
विषकन्या का रूप बनाके,
संतन को डस जाए.....
हाय! संतन को डस जाए ।
कोई कमाने नाम स्वयं का,
धर्म-कर्म झूठलाएगा ।
ऐसे में हर सच्चा यहां पर,
केवल नीर बहाएगा....
रे केवल नीर बहाएगा ।
कोई कमाने नाम स्वयं का,
धर्म-कर्म झूठलाएगा ।
ऐसे में हर सच्चा यहां पर,
केवल नीर बहाएगा....।
निशाचर और भूत प्रेत भी मानव बन कर आएंगे,
कोई तर्क देगा अधर्म का,
कोई नए षड्यंत्र रचे ।
कोई साधु को कहे पाखंडी,
कोई न धर्म पथिक होंगे ।
जिस धरती पर ऋषि मुनि थे,
नास्तिक केवल होंगे ।
बनाके मंडल समूह फिर वो,
कुलटा रूप बदल कर आए उ.....,
कुलटा रूप बदल कर आए,
संत चरण में गिर जाए ।
विषकन्या का रूप बनाके,
संतन को डस जाए.....
हाय! संतन को डस जाए ।
कोई कमाने नाम स्वयं का,
धर्म-कर्म झूठलाएगा ।
ऐसे में हर सच्चा यहां पर,
केवल नीर बहाएगा....
रे केवल नीर बहाएगा ।
कोई कमाने नाम स्वयं का,
धर्म-कर्म झूठलाएगा ।
ऐसे में हर सच्चा यहां पर,
केवल नीर बहाएगा....।
निशाचर और भूत प्रेत भी मानव बन कर आएंगे,
कोई तर्क देगा अधर्म का,
कोई नए षड्यंत्र रचे ।
कोई साधु को कहे पाखंडी,
कोई न धर्म पथिक होंगे ।
जिस धरती पर ऋषि मुनि थे,
नास्तिक केवल होंगे ।
बनाके मंडल समूह फिर वो,
नगर राज में जाएंगे ।
एक-एक संतन का नाम ले,
एक-एक संतन का नाम ले,
कपटी उन्हें बताएंगे ।
- महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज (ईशपुत्र)
- महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज (ईशपुत्र)
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