मौली "शक्ति तत्त्व" का प्रतीक है और ये सुरक्षा का भी प्रतीक है । मौली शक्ति का "महाकवच" माना जाता है इसलिए निरंतर और नित्य आपको हाथ मेँ मौली धारण करने को कहा जाता है । हर गृहस्थ को ये करना चाहिए और समस्त देवताओँ और देवियोँ की पूजा मेँ मौली का विशेष स्थान है । मौली धारण करने से कृत्याप्रयोग, अकाल मृत्यु और समस्त प्रकार की दुर्धटनाओँ और विघ्न-बाधाओँ से सुरक्षा मिलती है इसलिए भी इष्ट के नाम से मौली धारण की जाती है और मौली "सुरक्षा कवच" है । तो संपूर्ण परिवार की सुरक्षा भी मौली से होती है इसलिए मौली मेँ तीन बार उसको लपेटकर गाँठ उसमेँ डाली जाती है । मौली धारण करने का मन्त्र है और इष्ट को देने का मन्त्र है : ॐ भ्रौं श्री इष्ट देवताय नमः रक्षा बन्धनं समर्पयामि ॥ (जब आप इष्ट को देँ) और जब आप स्वयं पहने तो : ॐ भ्रौं श्री इष्ट देवताय नमः रक्षा बन्धनं कुरु ॥ इस प्रकार से आपको मन्त्र कहना चाहिए और मौलीसूत्र को इष्ट के विग्रह के हाथोँ मेँ बान्धना चाहिए और स्वयं भी । मौली इष्ट को अर्पित करने से देवता नियमित रुप से भक्त के घर मेँ ही निवास करने लगते है और इष्ट को चढाई गई मौली का एक टूकडा अपने हाथ मेँ पहनने से करोडोँ शत्रुओँ के मध्य भी आपकी रक्षा होती है और मौली मन्दिर मेँ यदि आप अर्पित करते है तो समस्त गुप्त मनोकामनाएँ तो पूर्ण होती ही है लेकिन वाक् चातुर्य और बोलने की आपको अद्भुत क्षमता की प्राप्ति होती है ये एक सिद्ध प्रयोग है । - महासिद्ध ईशपुत्र
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