वही श्री विद्या है

सम्मोहन जिसका स्वभाव ही है...सौन्दर्य जिसका अस्तित्त्व ही है...वशीकरण जिसके रोम-रोम मेँ है...लास और विलास की जो स्वामिनी है...वही 'श्री विद्या' है ।