मैने तुम्हे अपना तेजस्वी तेज का अंश दिया है। मै आपको दिव्य कलाएं एवं सामर्थ्य प्रदान कर रहा हूं। नित्य आपके साथ हूं| आपकी हर सांस में आपके साथ हूं। आपकी हर एक धड़कन को सुनने की सामर्थ्य रखता हूं। अगर इसके वावजूद आप शिखरस्थ नही हुए, फिर तो समझिये इस युग क्या किसी युग में आप कायाकल्प नही कर सकते। अब वो समय है धरा में युग को बदलने का। और युग को बदलने के लिए हजारों, लाखों, करोड़ों की भीड़ नही चाहिए। बस कुछ 'राजहंस' चाहिए, कुछ शेर चाहिए जो इस परिवर्तन के लिए तैयार हों। इसलिए साधना कीजिए, बल अर्जित कीजिए। अब इस राष्ट्र की वागडोर अपने हाथ में लीजिए। ऐसा न हो कि देर हो जाये।
-'ईशपुत्र'- 'कौलान्तक नाथ'(-श्रीविद्या साधना शिविर)
2 टिप्पणियां:
Kaulantak peethe dhee shra Guruji pranam, is peeth ke Saath jodne ke liye kya system hai.pls Ans me
गुरु जी प्रणाम,
mai apka sisye banna chata hu kripya mera marg darshan kare
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