पाऊं मैं तेरा ध्यान हृदय में, ध्याऊं मैं तेरा ज्ञान।
निस दिन मैं तुझको बुलाता ही जाऊं, मिट जाए मेरी पहचान।
हे महादेव तू इतनी दया कर, तुझमें समा सकूं।
मेरा मुझमें कुछ रह न पाए, तुझसी छबि मैं बनाऊं।
पागल सा बनकर मैं बढ़ता ही जाऊं, तुझको पुकारू मैं तुझको बुलाऊं।
हे महादेव तू इतनी दया कर, तुझमें समा सकूं।
आगम निगम अब आंखे हो मेरी, शिव ही हो मेरे प्राण।
सब दोष गुण अब शिव को ही अर्पित, अर्पित ये मानव मान।
हे महादेव तू इतनी दया कर, तुझमें समा सकूं।
गोपनीय रहस्य उजागर हो, सत्य का हो प्रकाश।
झूठे सारे असत्य संभाषण, पापों का हो जाए नाश।
हे महादेव तू इतनी दया कर, तुझमें समा सकूं।
- महासिद्ध ईशपुत्र
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