योगी अलग-अलग तौर तरीकों से साधनाएं करते है। कभी किसी गुफा में सूखे पत्ते बिछाकर घंटों समाधि में लीन रहते हैं, तो कभी किसी वृक्ष के नीचे । हमेशा इनके पास बहुत कम सामान पाया जाता है; एक त्रिशूल अथवा चिमटा, और दूसरा कमंडल । कमंडल में जल अथवा भोजन रखा जाता है; तथा चिमटा और त्रिशूल अपनी रक्षा के लिए हथियार है। योगी अपने आप को बहुत कष्ट देते हैं लेकिन उस कष्ट से मिलने वाला लाभ सम्पूर्ण जगत को मिलता है। योगियों को समाधि लगाना व भ्रमण करना अत्यंत प्रिय होता है। कभी कभी हिमालय पर योगी किसी गुफा या कंदरा का कृत्रिम रूप से निर्माण करता है! जहां पत्थरों की चुनाई कर मिट्टी से उसे लेप दिया जाता है, वही स्थान उनका प्रमुख आश्रम रहता है तथा उसी आश्रम से प्रतिदिन योगी आसपास के क्षेत्रों में साधना करने जाते हैं व संध्या काल में वापस लौट आते हैं। अत्यंत शीतलता से बचने के लिए उनके सम्मुख अग्नि का धुना चेतन रहता है। जिससे शीतलता तो दूर होती ही है साथ ही वन्य प्राणियों से भी रक्षा होती है। प्रतिदिन प्रातः योगाभ्यास किया जाता है; प्राणायाम व धारणा की जाती है; मंत्रजप, यौगिक क्रियाएं भी की जाती है; अनेकों गुप्त क्रियाएं भी होती है व दिन की शुरुआत भी इसी क्रम से होती है। साधना के तौर-तरीके भी परिवर्तनशील होते है।
- महासिद्ध ईशपुत्र
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