शिव ने महातपस्विनी पार्वती को गंगाजल से जो दिव्य रूप प्रदान किया वही देवी महागौरी हैं, महाशक्ति महागौरी स्वयं योगमाया ही हैं जो सृष्टि की मूल शक्ति व जननी है, यह भी कथा आती है की शिव द्वारा देवी को काली पुकारे जाने पर देवी ने गौर वर्ण धारण कर शिव को प्रसन्न किया था अत: देवी को महागौरी कहा गया है, देवी के उपासक भी देवी सामान ही अत्यंत सुदर देह प्राप्त करते हैं व कभी बूढ़े नहीं होते, देवी महागौरी की भक्ति करने वाले भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी कर देवी अद्भुत कृपा व प्रेम बरसाती हैं, देवी को प्रसन्न करने के लिए आठवें नवरात्र के दिन दुर्गा सप्तशती के ग्यारवें व बारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए, पाठ करने से पहले कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें, फिर क्रमश: कवच का, अर्गला स्तोत्र का, फिर कीलक स्तोत्र का पाठ करें, आप यदि मनोकामना की पूर्ती के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं तो कीलक स्तोत्र के बाद रात्रिसूक्त का पाठ करना अनिवार्य होता है, यदि आप ब्रत कर रहे हैं तो लगातार देवी के नवारण महामंत्र का जाप करते रहें,
महामंत्र-ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै बिच्चे
(शब्द पर दो मात्राएँ लगेंगी काफी प्रयासों के बाबजूद भी नहीं आ रहीं)
देवी कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए छठे दिन का प्रमुख मंत्र है
मंत्र-ॐ ह्रीं ऐं प्रज्वल-प्रज्वल महागौरी देव्यै नम:
दैनिक रूप से यज्ञ करने वाले इसी मंत्र के पीछे स्वाहा: शब्द का प्रयोग करें
जैसे मंत्र-ॐ ह्रीं ऐं प्रज्वल-प्रज्वल महागौरी देव्यै स्वाहा:
माता के मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष की माला स्रेष्ठ होती है, माला न मिलने पर मानसिक मंत्र का जाप भी किया जा सकता है, यदि आप देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनका एक दिव्य यन्त्र कागज़ अथवा धातु या भोजपत्र पर बना लेँ
यन्त्र-
587 923 398
597 335 132
577 834 989
यन्त्र के पूजन के लिए यन्त्र को सफेद रंग के वस्त्र पर ही स्थापित करें, पुष्प,धूप,दीप,ऋतू फल व दक्षिणा अर्पित करें, गौरी देवी का श्रृंगार सफेद वस्त्रों व आभूषणों से ही किया जाता है, सफेद रंग के ही फूल चढ़ाना सरेष्ट माना गया है, माता को वस्त्र श्रृंगार व नारियल जरूर चढ़ाएं, माता की मंत्र सहित पूजा प्रभात को ही की जा सकती है, सुबह की पूजा का समय देवी कूष्मांडा की साधना के लिए विशेष माना गया है, मंत्र जाप के लिए भी सुबह के मुहूर्त के समय का ही प्रयोग करें, नवरात्रों की पूजा में देवी के लिए घी का अखंड दीपक जला लेना चाहिए, पूजा में स्थापित नारियल कलश का अक्षत से पूजन करना चाहिए व इत्र सुगंधी अर्पित कर गंगाजल के छींटे देने चाहियें, पूजा स्थान पर स्थापित भगवे रंग की ध्वजा पर पुन: मौली सूत्र बांधें व अक्षत चढ़ाएं ध्वजा को हमेशा कुछ ऊँचे स्थान पर रखना चाहिए व अष्टम नवरात्र को ध्वजा पर फूल माला अर्पित करनी चाहिए, देवी के एक सौ आठ नामों का पाठ करें, यदि आप किसी ऐसी जगह हों जहाँ पूजा संभव न हो या आप बालक हो रोगी हों तो आपको पांचवें नवरात्र देवी के निम्न बीज मन्त्रों का जाप करना चाहिए
मंत्र-ॐ ह्रीं ऐं प्रज्वल-प्रज्वल
मंत्र को चलते फिरते काम करते हुये भी बिना माला मन ही मन जपा जा सकता है, देवी को प्रसन्न करने का गुप्त उपाय ये है कि देवी को सफेद चन्दन से बने आभूषण माला तिलक आदि अर्पित करना चाहिए
मंदिर में फल व सफेद वस्त्र चढाने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है व देवी की कृपा भी प्राप्त होती है, सह्स्त्रहार चक्र के ब्रह्मरंध्र में देवी का ध्यान करने से साधक पूर्णप्रग्य होता है और ध्यान पूरवक मंत्र जाप से भीतर देवी के स्वरुप के दर्शन होते हैं, प्राश्चित व आत्म शोधन के लिए पानी में तुलसी का रस व शहद मिला कर दो माला चंडिका मंत्र पढ़ें व जल पी लेना चाहिए
चंडिका मंत्र-ॐ नमशचंडिकायै
ऐसा करने से अनेक रोग एवं चिंताएं नष्ट होती हैं, आठवें दिन की पूजा में देवी को मनाने के लिए गंगा जल तथा तीर्थ का जल लाना बड़ा पुन्यदायक माना जाता है, दुर्गा चालीसा का भी पाठ करना चाहिए, तामसिक आहार से बचाना चाहिए, दिन को शयन नहीं करना चाहिए, कम बोलना चाहिए, काम क्रोध जैसे विकारों से बचना चाहिए, यदि आप सकाम पूजा कर रहे हैं या आप चाहते हैं की देवी आपकी मनोकामना तुरंत पूर्ण करे तो स्तुति मंत्र जपें, स्तुति मंत्र से देवी आपको इच्छित वर देगी,देवी से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है सभी तरह की समस्याओं का अंत होता है या कोई गुप्त इच्छा हो तो पूर्ण होती है, इस स्तुति मंत्र का आप जाप भी कर सकते हैं और यज्ञ द्वारा आहूत भी कर सकते हैं, देवी का सहज एवं तेजस्वी स्तुति मंत्र
ॐ क्षां क्षान्तिस्वरूपिन्ये रक्बीजबधकारिनयै नम:
(न आधा लगेगा)
नम: की जगह यज्ञ में स्वाहा: शब्द का उच्चारण करें, व देवी की पूजा करते हुये ये श्लोक उचारित करें
ॐ त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया
सम्मोहितं देवी समस्तमेतत
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतु:
यदि आप किसी शक्ति पीठ की यात्रा आठवें नवरात्र को करना चाहते हैं तो किसी पर्वतीय शक्ति पीठ पर जाना चाहिए, देवी की पूजा में यदि आप प्रथम दिवस से ही कन्या पूजन कर रहे हैं तो आज आठवें नवरात्र को आठ कन्याओं का पूजन करें, कन्या पूजन के लिए आई कन्याओं को दक्षिणा के साथ वस्त्र आभूषण आदि देने चाहिए जिससे अपार कृपा प्राप्त होगी, सभी मंत्र साधनाएँ पवित्रता से करनी चाहियें, आठवें नवरात्र को अपने गुरु से "कालातीत दीक्षा" लेनी चाहिए, जिससे आप जीवन कीउच्चता और नित्यता को अनुभव कर सकें व विज्ञानमय शरीर की शक्ति प्राप्त कर देवी को प्रसन्न कर सकते हैं, आठवें नवरात्र पर होने वाले हवन में मुनक्का व सफेद तिल की मात्रा अधिक रखनी चाहिए व घी मिलाना चाहिए, ब्रत रखने वाले फलाहार व दुग्धपान कर सकते हैं, एक समय ब्रत रखने वाले आठवें नवरात्र का ब्रत साय ठीक सात सत्तावन पर खोलेंगे, ब्रत तोड़ने से पहले देवी की पूजा कर फलों का प्रसाद बांटना चाहिए, आज सुहागिन स्त्रियों को हल्के रंग के वस्त्र आदि पहन कर व श्रृंगार कर देवी का पूजन करना चाहिए, पुरुष साधक भी साधारण और हल्के रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं, भजन व संस्कृत के सरल स्त्रोत्र का पाठ और गायन करें या आरती का गायन करना चाहिए, प्रतिदिन देव्यापराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए
-कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ
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