आकाश मंडल में चन्द्रमा को अपने शीश पर धारण करने के कारण देवी का नाम पड़ा चंद्रघंटा, महाशक्ति चंद्रघंटा माँ पार्वती जी का तेजोमय स्वरुप हैं जो सर्व कलाओं को धारण करने से उत्पन्न हुआ
अपनी सभी कलाओं को अध्यात्म धर्म सहित धारण करने के कारण ही देवी को चंद्रघंटा कहा जाता है, देवी के उपासक एक साथ ही संसार में जीते हुये परम मुक्ति के मार्ग पर भी चल सकते है, जिस कारण देवी की बड़ी महिमा गई जाती है, देवी कृपा से ही भक्त को संसार के सभी सुख तथा मुक्ति प्राप्त होती है, देवी को प्रसन्न करने के लिए तीसरे नवरात्र के दिन दुर्गा सप्तशती के चौथे अध्याय का पाठ करना चाहिए, पाठ करने से पहले कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें, फिर क्रमश: कवच का, अर्गला स्तोत्र का, फिर कीलक स्तोत्र का पाठ करें, मनोकामना की पूर्ती के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे हैं तो कीलक स्तोत्र के बाद रात्रिसूक्त का पाठ करना अनिवार्य होता है
यदि आप ब्रत कर रहे हैं तो लगातार देवी के नवारण महामंत्र का जाप करते रहें,
महामंत्र-ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै बिच्चे
(शब्द पर दो मात्राएँ लगेंगी काफी प्रयासों के बाबजूद भी नहीं आ रहीं)
देवी चंद्रघंटा को प्रसन्न करने के लिए तीसरे दिन का प्रमुख मंत्र है
मंत्र-ॐ क्लीं ह्रीं ऐं चंद्रघंटा देव्यै नम:
दैनिक रूप से यज्ञ करने वाले इसी मंत्र के पीछे स्वाहा: शब्द का प्रयोग करें
जैसे मंत्र-ॐ क्लीं ह्रीं ऐं चंद्रघंटा देव्यै स्वाहा:
माता के मंत्र का जाप करने के लिए रक्त चन्दन की माला स्रेष्ठ होती है, माला न मिलने पर रुद्राक्ष माला या मानसिक मंत्र का जाप भी किया जा सकता है, यदि आप देवी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो उनका एक दिव्य यन्त्र कागज़ अथवा धातु या भोजपत्र पर बना लेँ
यन्त्र-
539 907 234
227 876 191
654 812 902
यन्त्र के पूजन के लिए यन्त्र को लाल रंग के वस्त्र पर ही स्थापित करें, पुष्प,धूप,दीप,ऋतू फल व दक्षिणा अर्पित करें, चंद्रघंटा देवी का श्रृंगार लाल रंग के वस्त्रों से किया जाता है, लाल रंग के ही फूल चढ़ाना सरेष्ट माना गया है, माता को लाल चन्दन, सिंगार व नारियल जरूर चढ़ाएं, माता की मंत्र सहित पूजा केवल सायकाल को ही की जाती है, शाम की पूजा का चंद्रघंटा की साधना के लिए ज्यादा महत्त्व माना गया है, मंत्र जाप के लिए भी संध्या मुहूर्त के समय का ही प्रयोग करें, नवरात्रों की पूजा में देवी के लिए एक घी का अखंड दीपक जला लेना चाहिए, पूजा में स्थापित नारियल कलश का अक्षत से पूजन करना चाहिए, पूजा स्थान पर स्थापित भगवे रंग की ध्वजा पर पुन: मौली सूत्र बांधें, देवी के एक सौ आठ नामों का पाठ करें, यदि आप किसी ऐसी जगह हों जहाँ पूजा संभव न हो या आप बालक हो रोगी हों तो आपको पहले नवरात्र देवी के बीज मन्त्रों का जाप करना चाहिए
मंत्र-ॐ क्लीं ह्रीं ऐं
मंत्र को चलते फिरते काम करते हुये भी बिना माला मन ही मन जपा जा सकता है, देवी को प्रसन्न करने का गुप्त उपाय ये है कि देवी को कमल पुष्प, रक्त चन्दन की माला तथा सफेद फूलों का हार आदि अर्पित करना चाहिए,मंदिर में लाल रंग की चुनरी चढाने से समस्त मनोकामनाएं पूरी होती है व देवी कि कृपा भी प्राप्त होती है, मणिपुर चक्र में देवी का ध्यान करने से तृतीय चक्र जागृत होता है और ध्यान पूरवक मंत्र जाप से भीतर देवी के स्वरुप के दर्शन होते हैं, प्राश्चित व आत्म शोधन के लिए पानी में केसर मिला कर दो माला चंडिका मंत्र पढ़ें व जल पी लेना चाहिए,
चंडिका मंत्र-ॐ नमशचंडिकायै
ऐसा करने से अनेक रोग एवं चिंताएं नष्ट होती हैं, तीसरे दिन की पूजा में देवी को मनाने के लिए गंगा जल और बर्फ (हिमजल) का जल लाना बहुत बड़ा पुन्य माना जाता है, दुर्गा चालीसा का भी पाठ करना चाहिए
तामसिक आहार से बचाना चाहिए, दिन को शयन नहीं करना चाहिए, कम बोलना चाहिए, काम क्रोध जैसे विकारों से बचना चाहिए, यदि आप सकाम पूजा कर रहे हैं या आप चाहते हैं की देवी आपकी मनोकामना तुरंत पूर्ण करे तो स्तुति मंत्र जपें, स्तुति मंत्र से देवी आपको इच्छित वर देगी, चाहे घरेलु कलह से मुक्ति हो, विवाह नहीं हो पा रहा हो, प्रेम प्राप्ति की समस्या हो या कोई गुप्त इच्छा, इस स्तुति मंत्र का आप जाप भी कर सकते हैं और यज्ञ द्वारा आहूत भी कर सकते हैं, देवी का सहज एवं तेजस्वी स्तुति मंत्र
ॐ रं रक्त स्वरूपिन्ये महिषासुर मर्दिन्ये नम:
(न आधा लगेगा व न की जगह ण होगा )
नम: की जगह यज्ञ में स्वाहा: शब्द का उच्चारण करें, व देवी की पूजा करते हुये ये श्लोक उचारित करें,
ॐ सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके
शरण्ये त्र्यम्बिके गौरी नारायणि नमोस्तुते
यदि आप किसी शक्ति पीठ की यात्रा तीसरे नवरात्र को करना चाहते हैं तो किसी नाड़ी के निकट स्थित शक्ति पीठ पर जाना चाहिए, देवी की पूजा में यदि आप प्रथम दिवस से ही कन्या पूजन कर रहे हैं तो आज तीसरे नवरात्र को तीन कन्याओं का पूजन करें, कन्या पूजन के लिए आई कन्या को दक्षिणा के साथ चूड़ियाँ व श्रृंगार प्रसाद देना चाहिए जिससे अपार कृपा प्राप्त होगी, सभी मंत्र साधनाएँ पवित्रता से करनी चाहियें, तीसरे नवरात्र को अपने गुरु से "उज्जवल दीक्षा" लेनी चाहिए, जिससे आप जन्म मरण के चक्र से मुक्त होने की शक्ति प्राप्त कर देवी को प्रसन्न कर सकते हैं, तीसरे नवरात्र पर होने वाले हवन में खीर से हवन करना चाहिए
ब्रत रखने वाले फलाहार व दुग्धपान कर सकते हैं, एक समय ब्रत रखने वाले तीसरे नवरात्र का ब्रत आठ बीस साय खोलेंगे, ब्रत तोड़ने से पहले देवी की पूजा कर हलवा पूरी का प्रसाद बांटना चाहिए,आज सुहागिन स्त्रियों को लाल वस्त्र आदि पहन कर व श्रृंगार कर देवी का पूजन करना चाहिए, पुरुष साधक भी साधारण और हल्के लाल रंग के वस्त्र धारण कर सकते हैं, भजन व संस्कृत के सरल स्त्रोत्र का पाठ और गायन करें या आरती का गायन करना चाहिए, प्रतिदिन देव्यापराध क्षमापन स्तोत्र का पाठ करना चाहिए
-कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ
1 टिप्पणी:
यन्त्र-
539 907 234
227 876 191
654 812 902
पहली लाइन बाये से 1 539 है या 593 कृपया संसय का समाधान करे धन्यवाद
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