प्रस्तुत है 'कौलान्तक पीठ हिमालय' का सबसे चर्चित मंत्र जो 'कौल मत' के 'वैष्णव पक्ष' का मंत्र है। 'कौलान्तक पीठ' के 'सर्वकुल' नाम के कुल का प्रसिद्द मंत्र है। ये मंत्र 'सर्वेश्वर नाथ' यानि 'वैष्णव आदिनाथ' का प्रतीक भी है। वैसे तो 'आदिनाथ' स्वयं 'सदाशिव' को कहा जाता है जो 'शैव कौलकुल' के प्रथम बिंदु हैं। लेकिन शिव के कुल को आगे बढ़ाने का कार्य 'विष्णु पुरुष' का है। 'कौलान्तक पीठ' की एक प्रचलित कथा के अनुसार 'सर्वेश्वर नाथ' 'विष्णु पुरुष' ही हैं जो 'शिव पंथ' को बढ़ाने के लिए 'शिव स्वरुप' धारण करते हैं। हिमालय का 'गरुड़ासन पर्वत' उनका स्थल है। ये एक लम्बी कहानी है जिसे 'संप्रदाय' के भैरव-भैरवियाँ जानते हैं। हम विस्तार में ना जा कर 'वैष्णव आदिनाथ' का कौल मंत्र प्रस्तुत कर रहे हैं। ये बताना जरूरी है कि 'शिव भेष' के कारण व प्रथम शिष्य व ज्ञान प्रदाता होने के कारण ही 'विष्णु पुरुष' को 'आदिनाथ' कह कर सम्बोधित किया गया है। बाकी कोई रहस्य भला आप सबसे छुप कहाँ सकता है ? आप जानते ही है कि इस संप्रदाय के लोग अभी भी अपनी मान्यताओं को आगे बढ़ा रहे हैं। ख़ैर छोड़िये प्रस्तुत है मंत्र-कौलान्तक पीठ
।।श्री सर्वेश्वर आदि नाथ मंत्र।।
धुं गरुड़ गरुड़ गरुड़ गरुड़ गरुड़ गरुड़ गरुड़ासन पर्वताय
गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु गुरु कौल सिद्धाय
नं नं नं नं नं नं नं नं नं आदि नाथाय हुं