"जीवन में 'सत्य का प्रकाश' मिलते ही आनंद के 'सुगन्धित पुष्प' ह्रदय वाटिका में 'महकने और खिलने' लगते हैं. ह्रदय के इस सौन्दर्य को दूसरा कोई भले ही न देख पाए किन्तु तुम अपने अंतस पर इसकी 'सुगंध और दिव्यता' अनुभव कर सकते हो-कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज"-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय.
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