ये मंत्र छिन्नमस्ता साधना हेतु अति महत्त्वपूर्ण है। ये मंत्र 'कौलान्तक संप्रदाय' का बड़ा ही प्रसिद्घ 'छिन्नमस्ता' मन्त्र है।
।। उग्र कौल छिन्नमस्ता मंत्र।।
।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हुँ वज्रे वज्रिके हा हा हुं हुं श्रीं ह्रीं हुं श्रीं ऐं क्लीं क्लीं क्लीं डं डाकिनी सं संयुक्ते वामे वज्र नायिके छिन्ने छिन्नमस्तके हुं छिन्नमस्ते जाग्रय हा हा हुं हुं श्रीं ह्रीं हुं श्रीं ऐं
क्लीं क्लीं क्लीं उग्रे वज्रे स्वाहा।।
(ये मंत्र सम्प्रदायानुगत व गुरुगम्य है कृपया इस तांत्रिक मंत्र का उच्चारण व विधान परम्परा से ही लें-बताना हमारा कर्तव्य है)

।। उग्र कौल छिन्नमस्ता मंत्र।।
।। ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं हुँ वज्रे वज्रिके हा हा हुं हुं श्रीं ह्रीं हुं श्रीं ऐं क्लीं क्लीं क्लीं डं डाकिनी सं संयुक्ते वामे वज्र नायिके छिन्ने छिन्नमस्तके हुं छिन्नमस्ते जाग्रय हा हा हुं हुं श्रीं ह्रीं हुं श्रीं ऐं
क्लीं क्लीं क्लीं उग्रे वज्रे स्वाहा।।
(ये मंत्र सम्प्रदायानुगत व गुरुगम्य है कृपया इस तांत्रिक मंत्र का उच्चारण व विधान परम्परा से ही लें-बताना हमारा कर्तव्य है)