अग्नि स्तुति

-अग्नि स्तुति-"
वेदों नें अग्नि की स्तुति की है....मेरी भी यही प्रार्थना है कि अग्नि वो तेज हमें प्रदान करे......जो सनातन की महामर्यादा की रक्षा हो सके.....दीनों को बल और दरिद्रों को धन मिल सके......दुखी जन सुखी हों.......सभ्यता खूब पहले-फूले...राष्ट्रों का विकास हो....मानवता मजबूत हो......और मेरे अंतःकरण को पवित्र करे........हमें....उस सत्य के बोद्ध में सहायक हों...जिस सत्य नें अग्नि को उत्त्पन्न किया.....प्रत्यक्ष अग्नि.....योग अग्नि......परा अग्नि.....सूक्ष्मातिसूक्ष्म अग्नि सहित कुण्डलिनी अग्नि सब हमारे लिए देवत्व स्वरूपी हों. ऋषियों द्वारा वन्दित अग्नि......आपके सूक्ष्मातिसूक्ष्म स्वरुप को जान पाना असंभव ही है.....किन्तु आप प्रत्यक्ष देवता है......हमारे संताप और पापों को हर कर तेजस्विता प्रदान करें"-'कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज'-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय

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