(जब तुम ये सोचने लग जाते हो कि तुम अमर हो, तुम्हें मृत्यु नहीं आने वाली, तब तुम जीवन का अपमान करने लगते हो. किन्तु नश्वरता की अनुभूति होते ही तुम प्रेम,करुणा और स्नेह से भर उठते हो, तुम्हारी आलोचनाएँ बह जाती हैं, तुम्हारा अहंकार विसर्जित हो जाता है, तुम्हारा तथाकथित ज्ञान शून्य में परिणित हो जाता है.......ये नश्वरता और अस्तित्व के मिट जाने का भय तुम्हें वर्तमान के हर पल को जीने और महसूस करने की प्रज्ञा देता है......तुम्हें प्रेरणा देता है........तुम्हारी तलाश गहरी हो जाती है......जबकि तुम कभी मिटने वाले नहीं हो-कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज)-कौलान्तक पीठ टीम, हिमालय.
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