बुधवार, 19 जून 2019

आध्यात्मिक खोज

जीवन यूं ही तेजी से ढल जाता है....मनुष्य सोचता रहता है की अभी तो बहुत वक्त पड़ा है. इसलिए वो न तो जीवन ही जी पाता है और न ही उसे समझ पाता है. जीवन के सूत्र और उससे ऊपर उठ जाने की कला सहस्त्रों युगों से ऋषि-मुनि इंसान को बताते रहे पर तथाकथित आधुनिकता नें उससे ये अमूल्य और प्रमाणिक धरोहर भी छीन ली....अब हम विवश है व्यर्थ,निरुद्देश्य जीवन जीने के लिए और व्यर्थ की मौत मरने के लिए.........क्या ऋषिओं का विज्ञान आज के विज्ञान से तेज था....शायद नहीं किन्तु उनहोंने भौतिक खोज की जगह आध्यात्मिक खोज को महत्वपूर्ण पाया, लेकिन हम उनके वंशज, पशुत्व की लौट रहे हैं, प्रार्थना है की हम उसी तेज को,उसी गौरव को फिर प्राप्त कर सकें-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय

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