'कौलान्तक पीठ' का एक बड़ा दर्द ये है कि हम तो सारे मन्त्रों को प्रकट कर भी दें। लेकिन साधक केवल हमारी ओर ही निहारते हैं, उन्हें भी अपनी पात्रता और अपने अध्ययन को बढ़ाना चाहिए। हम पर उंगली करने से पहले अपनी ओर करें। ब्रह्माण्ड अनंत और अथाह है ज्ञान भी, लेकिन इसे जानने वाले बेहद कम होते हैं। वैसे हमारी सबसे बड़ी गलती ये है कि हम 'हिन्दू धर्म' के एक छोटे से संप्रदाय से हैं। जिसे मिटाने का श्रेय बाहरी तत्वों,षडयंत्रों, धर्मों,सम्प्रदायों के अतिरिक्त कुछ 'हिंदुओं' को भी जाता है। क्योंकि वो 'शिव शक्ति' के ज्ञान से ही विमुख हो गया है। समकालीन गुरुओं और संतों को भेद कर 'ऋषि-मुनियों' तक देखने की क्षमता समाप्त हो रही है। 'कलियुग' के गुरु और संत क्या कहते हैं इसके उदहारण देते हैं………लेकिन ऋषियों नें और 'स्वयं शिव' नें क्या कहा है, उसे कौन जानेगा? खैर!
ये ज्ञान हमारा नहीं 'महादेव' का है। आज प्रस्तुत है 'श्यामा कौलिनी कुरुकुल्ला मन्त्र', ये मंत्र भगवती की कृपा प्रदान करने वाला मंत्र है। तो 'ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ' का आशीर्वाद इस मन्त्र के रूप में स्वीकार कीजिये। ये मंत्र देशज मंत्र यानि 'शाबर मंत्र' है।
।। श्यामा कौलिनी कुरुकुल्ला मन्त्र ।।
कौलिनी कौलिनी भगवती कुरुकुल्ले कौलिनी कौलिनी
जूं स: ह्रुं स: गुं स: हं स: काले कुले नीले तारे
चल हे! चल हे! कुरुकुले! ज्ञाने ध्याने मोक्षे कुरु भोगे-जोगे सिद्ध हो।
(इस मंत्र जाप के लिए आपको 'श्री कौलेश्वराय नम:' कहते हुए 'भगवान् शिव' का ध्यान करके ही इसे गाना व बोलना शुरू करना चाहिए)-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय