"यदि आप अध्यात्म पथ के पथिक है तो ये याद रखना रूपांतरण तो तुम्हारा निश्चित ही है...किन्तु भौतिक जगत भीतर के रूपांतरण को नहीं समझ पाता, वो केवल बाहर-बाहर देखता है.......इसलिए जो रूपांतरण की प्रक्रिया में हो उसे संसार में रहते हुए भी असंसारी जैसा होना पड़ता है......जो इस चुनौती को स्वीकारता है वो उपलब्ध हो जाता है."-'कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज'-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
शनिवार, 22 जून 2019
बुधवार, 19 जून 2019
आध्यात्मिक खोज
जीवन यूं ही तेजी से ढल जाता है....मनुष्य सोचता रहता है की अभी तो बहुत वक्त पड़ा है. इसलिए वो न तो जीवन ही जी पाता है और न ही उसे समझ पाता है. जीवन के सूत्र और उससे ऊपर उठ जाने की कला सहस्त्रों युगों से ऋषि-मुनि इंसान को बताते रहे पर तथाकथित आधुनिकता नें उससे ये अमूल्य और प्रमाणिक धरोहर भी छीन ली....अब हम विवश है व्यर्थ,निरुद्देश्य जीवन जीने के लिए और व्यर्थ की मौत मरने के लिए.........क्या ऋषिओं का विज्ञान आज के विज्ञान से तेज था....शायद नहीं किन्तु उनहोंने भौतिक खोज की जगह आध्यात्मिक खोज को महत्वपूर्ण पाया, लेकिन हम उनके वंशज, पशुत्व की लौट रहे हैं, प्रार्थना है की हम उसी तेज को,उसी गौरव को फिर प्राप्त कर सकें-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
सोमवार, 17 जून 2019
मानसिक शांति के लिए मंत्र
"मनुष्य जिस दिन विज्ञान के चरमोत्कर्ष पर पहुंचेगा....उस दिन भी वो मानसिक शांति के लिए मंत्र जाप की शरण में ही लौट कर आएगा.....क्योंकि सहस्त्रों वर्षों पूर्व ही ऋषियों नें मन के अन्दर झांक कर...मन्त्र की रचना को अलौकिकता से पूर्ण पाया था. आज भी साधक केवल मंत्र जाप द्वारा इष्ट और गुरु को प्रसन्न कर सकते हैं....किन्तु मंत्र मन से जुड़ा है....अगर मन में भाव न हों......अगर मन में विश्वास न हो...संदेह हो तो...मंत्र केवल व्यर्थ का एक शब्द मात्र है.......शास्त्र कहते हैं....पाषाण ह्रदय के लिए कविता नहीं होती और मूढ़ बुद्धि के लिए मंत्र.......इसलिए गुरु कोई भी मंत्र केवल पात्र को ही प्रदान करते हैं-कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज"-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय.
रविवार, 16 जून 2019
कौलान्तक पीठ का प्रमुख शैव ध्वज
"कौलान्तक पीठ का प्रमुख शैव ध्वज" जो कौलान्तक सम्प्रदाय के सिद्धों की पहचान है. इस ध्वज के नीचे हम कैलाश मानसरोवर से भी आगे तक की सिद्ध योगियों की तपोभूमि की पुन: प्राप्ति की कामना करते हैं. जो भूखंड आज दूसरे देशों नें हमसे छीन लिया है. वो भारत वर्ष का अभिन्न अंग है, सिद्धों के प्राण उस भूमि पर बसते हैं. महाहिमालय का वो सारा क्षेत्र हमें पुन: प्राप्त हो. यही मंगल कामना-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
गुरुवार, 13 जून 2019
नश्वरता की अनुभूति
(जब तुम ये सोचने लग जाते हो कि तुम अमर हो, तुम्हें मृत्यु नहीं आने वाली, तब तुम जीवन का अपमान करने लगते हो. किन्तु नश्वरता की अनुभूति होते ही तुम प्रेम,करुणा और स्नेह से भर उठते हो, तुम्हारी आलोचनाएँ बह जाती हैं, तुम्हारा अहंकार विसर्जित हो जाता है, तुम्हारा तथाकथित ज्ञान शून्य में परिणित हो जाता है.......ये नश्वरता और अस्तित्व के मिट जाने का भय तुम्हें वर्तमान के हर पल को जीने और महसूस करने की प्रज्ञा देता है......तुम्हें प्रेरणा देता है........तुम्हारी तलाश गहरी हो जाती है......जबकि तुम कभी मिटने वाले नहीं हो-कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज)-कौलान्तक पीठ टीम, हिमालय.
मंगलवार, 4 जून 2019
चेतना में वृद्धि
कौलान्तक पीठाधीश्वर कहते हैं-एक छोटा सा बालक धीरे-धीरे सीखता है और युवा होता है, वही ज्ञान धीरे-धीरे वृद्धावस्था तक पहुंचता है और समाप्त हो जाता है, किन्तु ऋषि परम्परा कहती है कि बौधिक ज्ञान की अपेक्षा साधक को चेतना में वृद्धि करनी चाहिए, तब कोई भी अवस्था क्यों न हो ज्ञान बढ़ता ही जाएगा, मृत्यु उसे समाप्त नहीं कर पाएगी. वो मृत्यु के बाद भी बढ़ता ही जायेगा. रहस्यमय बात है कि वो मृत्यु से अमृत तत्व की ओर ले जाएगा. किन्तु सबके लिए ये संभव नहीं. इसे उच्च धरा पर विराजमान साधक ही समझ पाता है.लेकिन इस उच्च धरा पर साधक को निरंतर अभ्यास और वैराग्य ही ले जा सकता है"-कौलान्तक पीठ टीम.
शनिवार, 1 जून 2019
अग्नि स्तुति
-अग्नि स्तुति-"
वेदों नें अग्नि की स्तुति की है....मेरी भी यही प्रार्थना है कि अग्नि वो तेज हमें प्रदान करे......जो सनातन की महामर्यादा की रक्षा हो सके.....दीनों को बल और दरिद्रों को धन मिल सके......दुखी जन सुखी हों.......सभ्यता खूब पहले-फूले...राष्ट्रों का विकास हो....मानवता मजबूत हो......और मेरे अंतःकरण को पवित्र करे........हमें....उस सत्य के बोद्ध में सहायक हों...जिस सत्य नें अग्नि को उत्त्पन्न किया.....प्रत्यक्ष अग्नि.....योग अग्नि......परा अग्नि.....सूक्ष्मातिसूक्ष्म अग्नि सहित कुण्डलिनी अग्नि सब हमारे लिए देवत्व स्वरूपी हों. ऋषियों द्वारा वन्दित अग्नि......आपके सूक्ष्मातिसूक्ष्म स्वरुप को जान पाना असंभव ही है.....किन्तु आप प्रत्यक्ष देवता है......हमारे संताप और पापों को हर कर तेजस्विता प्रदान करें"-'कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज'-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
वेदों नें अग्नि की स्तुति की है....मेरी भी यही प्रार्थना है कि अग्नि वो तेज हमें प्रदान करे......जो सनातन की महामर्यादा की रक्षा हो सके.....दीनों को बल और दरिद्रों को धन मिल सके......दुखी जन सुखी हों.......सभ्यता खूब पहले-फूले...राष्ट्रों का विकास हो....मानवता मजबूत हो......और मेरे अंतःकरण को पवित्र करे........हमें....उस सत्य के बोद्ध में सहायक हों...जिस सत्य नें अग्नि को उत्त्पन्न किया.....प्रत्यक्ष अग्नि.....योग अग्नि......परा अग्नि.....सूक्ष्मातिसूक्ष्म अग्नि सहित कुण्डलिनी अग्नि सब हमारे लिए देवत्व स्वरूपी हों. ऋषियों द्वारा वन्दित अग्नि......आपके सूक्ष्मातिसूक्ष्म स्वरुप को जान पाना असंभव ही है.....किन्तु आप प्रत्यक्ष देवता है......हमारे संताप और पापों को हर कर तेजस्विता प्रदान करें"-'कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज'-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय
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