नित्य शिव भाव रहना ही महायोग है। मुख से शिव कहना, मन में शिव रखना,स्वयं के अस्तित्व को शिव से और शिव का समझना ही शिव भाव है। शिव पाप-पूण्य, उच्चता-नीचता, प्रशंसा-निंदा से पार हैं। तुम भी उनके स्वरूप को आत्मसात कर लो। फिर शिव के अतिरिक्त यहाँ कोई और है कहाँ?-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय।
शिवोऽहम्
नित्य शिव भाव रहना ही महायोग है। मुख से शिव कहना, मन में शिव रखना,स्वयं के अस्तित्व को शिव से और शिव का समझना ही शिव भाव है। शिव पाप-पूण्य, उच्चता-नीचता, प्रशंसा-निंदा से पार हैं। तुम भी उनके स्वरूप को आत्मसात कर लो। फिर शिव के अतिरिक्त यहाँ कोई और है कहाँ?-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय।
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