क्या आप रात भर सोते नहीं ? सुबह जल्दी उठ भी नहीं पाते ? हमेशा उंघते रहते हैं ? क्या हमेशा आलस्य छाया रहता हैं? अनेक रोगों से घिरे हुए हैं? क्या आप अनिद्रा के शिकार हैं ! सोने के लिए दवाओं का सहारा लेते हैं? तो कीजिये स्वप्नेश्वरी देवी को प्रसन्न और खो जाइये मीठे सपनों के संसार में.......हमें नींद के बारे में सोचने की आवश्यकता नहीं होती, ये हमारी दिनचर्या का एक हिस्सा है,लेकिन आधुनिक जीवन शैली के कारण ज्यादातर लोग कभी न कभी नींद न आने की परेशानी से सामना करते है,जिसे आनिद्र भी कहा जाता है(Insomnia), अगर आप कभी बहुत चिन्तित हों या बहुत उत्तेजित हों तो कुछ समय के लिए आप इसके शिकार हो सकते हैं और जब ये उत्तेजना या चिन्ता खत्म हो जाती है तो नींद भी दुबारा सामान्य हो जाती है, अगर आपको अच्छी नींद नही आती है तो ये एक समस्या है क्योंकि नींद आपके शरीर और दिमाग को स्वस्थ एवं चुस्त रखती है| नींद हर 24 घंटे में नियमित रुप से आने वाला वो समय है जब हम अचेतन अवस्था मे होते है, और आस पास की चीजों से अनजान रहते है ,हम सपने देखते है,एक सामान्य रात में आप लगभग हर दो घंटे पर1-2 मिनट के लिये जगते हैं,आप सामान्यतः इस जगने के बारे में नहीं जान पाते,हमें कितनी नींद की आवश्यकता होती है ? यह उम्र पर निर्भर है,बच्चे -17 घन्टे,किशोर - 9 से 10 घन्टे,व्यस्क - 8 घन्टे,वृद्ध - व्यस्क के समान,समान उम्र के लोगों के बीच मे भी अन्तर पाया जाता है,अधिकांश लोग 8 घन्टे सोते हैं जबकि कुछ लोगों के लिये 3 घन्टे की नींद ही पर्याप्त होती है,जब नींद नहीं आती है तो चिन्ता और तनाव बढ़ाने लगता है,अगर आप एकाध रात न सोएं तो अगले दिन आप थका हुआ मह्सूस करेंगे, दिन भर झपकी लेंते रहेंगें, ध्यान नही लगा पायेंगे,निर्णय लेने में दिक्कत होगी,उदासी मह्सूस होगी,गंभीर रूप से बीमार पड़ सकते हैं,आप अगर वाहन चलाते हैं या मशीनों पर काम करते हैं तो यह खतरनाक हो सकता है,अनिद्रा से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और मोटापा जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं,-कभी कभी आप महसूस करते हैं कि आपने पूरी नींद नहीं ली है या पर्याप्त समय सोने के बाद भी आपको ताजगी महसूस नहीं होती,जिसके कई कारण हो सकते हैं, शयनकक्ष में बहुत शोर हो या बहुत ठंडा या बहुत गर्म हो ,बिस्तर छोटा हो या आरामदायक ना हो ,आपकी सोने की कोई नियमित दिनचर्या न हो ,आपको पर्याप्त थकान न होती हो या आप पर्याप्त परिश्रम न करते हो, आप बहुत देर में खाना खाते हो,आप भूखे पेट ही सोने के लिए चले जाते हों ,सोने से पूर्व चाय, काफी (जिनमे कैफीन नामक रसायन होता है), सिगरेट या शराब का सेवन करते हों, लेकिन इन सभी से बचने का उपाय है, वो है गहरी नींद में सोना,और नींद आने का मंत्र हम आपको बताएँगे,लेकिन मंत्र से पहले ये जान लेते है कि निद्रा कि देवी कौन है,जी हाँ निद्रा कि देवी,निद्रा कि देवी हैं माँ स्वप्नेश्वरी,कैसे उत्पन्न हुयी है सपनों के संसार कि ये देवी आइये जानते हैं मार्कंडेय पुराण कि इस कथा से----------
"सृष्टि के आरम्भ में हर ओर जल ही जल था और उस जल में भगवान् विष्णु शेष नाग की शैय्या पर योगनिद्रा में सोये हुए थे,उनकी नाभि से एक कमल प्रकट हुआ जिस पर ब्रह्मा जी बैठे हुए थे,अचानक भगवान् विष्णु जी के कानों की मैल से दो भयानक राक्षस शुम्भ निशुम्भ पैदा हुए,शुम्भ निशुम्भ ब्रह्मा जी को खाने के लिए दौड़ पड़े,तो ब्रह्मा जी अपने प्राण बचने के लिए विष्णु जी के पास गए,लेकिन विष्णु जी को योग निद्रा में लीन देख कर चिंतित हो गए,तब प्राण संकट में जान ब्रह्मा जी ने योगमाया की स्तुति प्रारम्भ की,ब्रह्मा जी की स्तुति से प्रसन्न हो कर देवी योगमाया भगवान् विष्णु जी के नेत्रों से निकल कर ब्रह्मा जी के सम्मुख उपस्थित हुयी,तब भगवान् विष्णु निद्रा से जागे और उनहोंने शुम्भ निशुम्भ का बध किया,यही योग माया निद्रा के रूप में सभी जीव जंतुओं को हर रोज नयी जीवनी शक्ति देती है,इसी देवी योगमाया को देवी स्वप्नेश्वरी कहा जाता है जो निद्रा की देवी मानी जाती हैं,देवी स्वप्नेश्वरी की यदि प्रसन्न हो जाएँ तो ये मन जाता है की ऐसा व्यक्ति सपनों में भविष्य की घटनाओं को देख सकता है,भक्त के स्वप्न पूर्ण होने लगते हैं,देवी की उपासना करने से लम्बी आयु और स्वास्थ्य तो मिलता ही है,देवी स्वप्नेश्वरी सोते हुए ही अपने भक्त के रोगों को नष्ट कर देती हैं,स्वप्नेश्वरी देवी की भक्ति पूजा करने वालों की स्मरण शक्ति गजब की होती है और ताउम्र बनी रहती है, नींद न आना एक गंभीर समस्या है, अनिद्रा से कई रोग पैदा हो सकते हैं, लम्बे समय तक अनिद्रा रहना बहुत ही घातक सवित हो सकता है, अनिद्रा से दायवितीज, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, हाइपर टेंशन, गैस की समस्या, कन्स्तिपेशन, डार्कआई सर्कल्स, बॉडीऐक,भूख की कमी, हार्मोनल इम्बेलेंस, हार्ट डिजिजिस, नार्को लेपसी, के साथ साथ दिमाग की कार्य कशमता प्रभावित हो सकती है, इसके अतिरिक्त अवसाद, मनसताप, अति हर्ष विषाद, उन्माद, सम्भ्रमात्मकता, खिन्नता विक्षिप्तता, चिडचिडापन, क्रोध आदि भी पैदा होते हैं, कई बार गहरी नींद सोने पर भी नींद पूरी नहीं होती जिसके कई कारण हो सकते हैं, सोने का कमरा स्वच्छ हवादार न होना , तकिया बड़ा और असुविधाजनक होना,गलत दिशा में और असुबिधाजनक बिस्तर, अत्यंत तनाव अकेलापन और अज्ञात भय ,कोई शारीरिक बीमारी या अधिनिद्रा नाम का रोग नशे जैसी गलत आदतों के कारण नींद नहीं आती, चाय काफी का अधिक सेवन धूम्रपान आदि भी समस्या पैदा करते हैं, अनिद्रा दूर करने के लिए प्राणायाम करना चाहिए, भ्रामरी प्राणायाम और उद्गीथ प्राणायाम के साथ ही अनुलोम विलोम प्राणायाम करें, आँखों का नियमित व्यायाम करें,साफ पानी के छीटे दें, सूर्य भगवान् को अर्ध्य दें, स्वप्नेश्वरी देवी की पूजा करें व मंत्र जाप करें, इससे बुरे स्वप्न भी नहीं आयेंगे और स्वस्थ नींद का सुख उठा सकेंगे
"स्वप्नेश्वरी देवी का मंत्र"-"शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं श्रीं अवतर स्वाहा।" मानसिक रूप से मंत्र का जाप करना चाहिए, हल्का व्यायाम करना न भूलें,बिना नींद बिस्तर पर न जाएँ, बिस्तर पर लेट कर टीवी नहीं देखें, नींद के लिए दवाओं का सहारा न लें,अन्यथा आप आदि हो सकते हैं, रात को भी अधिक तला हुआ भोजन न करें, भूख से अधिक कभी न खाएं, खाना खाने के करीब दो घंटे बाद ही सोने जाना चाहिए, भोजन में हरी सब्जियों का भरपूर प्रयोग करें, पानी का भी उचित मात्र में जरूर सेवन करें, नींद सही रीति से आये इसके लिए शय कक्ष में कुछ बदलाव करें, ये सुनिश्चित करें कि सर दक्षिण दिशा कि और न हो, हल्का संगीत धार्मिक संगीत सुनना या बांसुरी आदि बाद्य यंत्रों का संगीत सुनना लाभदायक, सोने के कुछ देर पहले पाँव धोने से भी अछि नींद आती हैं, जिन्हें बुरे सपने आते हों वे बाई करवट न सोयें, शराब, चरस, गुटका, तम्बाकू जैसे तमाम नशीले पदार्थों का परित्याग करें,अनियमित दिनचर्या न रखें ठीक समय पर सोये और उठें, ध्यान कि कुछ क्रियायों का ज्ञान प्राप्त कर ध्यान में उतरें, मोबाईल फ़ोन का प्रयोग कम करें व टीवी देखने का समय भी निश्चित ही रखें, सोने के कमरे में अधेरा होना चाहिए तेज रौशनी न रखें, लाल रंग का प्रयोग सोने के कमरे में कम करें, रात को रूम फ्रेशनर का प्रयोग बिलकुल न करें, देवी स्व्प्नेश्वरी कि मन ही मन पूजा करते हुए सोयें
कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ
"सृष्टि के आरम्भ में हर ओर जल ही जल था और उस जल में भगवान् विष्णु शेष नाग की शैय्या पर योगनिद्रा में सोये हुए थे,उनकी नाभि से एक कमल प्रकट हुआ जिस पर ब्रह्मा जी बैठे हुए थे,अचानक भगवान् विष्णु जी के कानों की मैल से दो भयानक राक्षस शुम्भ निशुम्भ पैदा हुए,शुम्भ निशुम्भ ब्रह्मा जी को खाने के लिए दौड़ पड़े,तो ब्रह्मा जी अपने प्राण बचने के लिए विष्णु जी के पास गए,लेकिन विष्णु जी को योग निद्रा में लीन देख कर चिंतित हो गए,तब प्राण संकट में जान ब्रह्मा जी ने योगमाया की स्तुति प्रारम्भ की,ब्रह्मा जी की स्तुति से प्रसन्न हो कर देवी योगमाया भगवान् विष्णु जी के नेत्रों से निकल कर ब्रह्मा जी के सम्मुख उपस्थित हुयी,तब भगवान् विष्णु निद्रा से जागे और उनहोंने शुम्भ निशुम्भ का बध किया,यही योग माया निद्रा के रूप में सभी जीव जंतुओं को हर रोज नयी जीवनी शक्ति देती है,इसी देवी योगमाया को देवी स्वप्नेश्वरी कहा जाता है जो निद्रा की देवी मानी जाती हैं,देवी स्वप्नेश्वरी की यदि प्रसन्न हो जाएँ तो ये मन जाता है की ऐसा व्यक्ति सपनों में भविष्य की घटनाओं को देख सकता है,भक्त के स्वप्न पूर्ण होने लगते हैं,देवी की उपासना करने से लम्बी आयु और स्वास्थ्य तो मिलता ही है,देवी स्वप्नेश्वरी सोते हुए ही अपने भक्त के रोगों को नष्ट कर देती हैं,स्वप्नेश्वरी देवी की भक्ति पूजा करने वालों की स्मरण शक्ति गजब की होती है और ताउम्र बनी रहती है, नींद न आना एक गंभीर समस्या है, अनिद्रा से कई रोग पैदा हो सकते हैं, लम्बे समय तक अनिद्रा रहना बहुत ही घातक सवित हो सकता है, अनिद्रा से दायवितीज, डिप्रेशन, एंग्जाइटी, हाइपर टेंशन, गैस की समस्या, कन्स्तिपेशन, डार्कआई सर्कल्स, बॉडीऐक,भूख की कमी, हार्मोनल इम्बेलेंस, हार्ट डिजिजिस, नार्को लेपसी, के साथ साथ दिमाग की कार्य कशमता प्रभावित हो सकती है, इसके अतिरिक्त अवसाद, मनसताप, अति हर्ष विषाद, उन्माद, सम्भ्रमात्मकता, खिन्नता विक्षिप्तता, चिडचिडापन, क्रोध आदि भी पैदा होते हैं, कई बार गहरी नींद सोने पर भी नींद पूरी नहीं होती जिसके कई कारण हो सकते हैं, सोने का कमरा स्वच्छ हवादार न होना , तकिया बड़ा और असुविधाजनक होना,गलत दिशा में और असुबिधाजनक बिस्तर, अत्यंत तनाव अकेलापन और अज्ञात भय ,कोई शारीरिक बीमारी या अधिनिद्रा नाम का रोग नशे जैसी गलत आदतों के कारण नींद नहीं आती, चाय काफी का अधिक सेवन धूम्रपान आदि भी समस्या पैदा करते हैं, अनिद्रा दूर करने के लिए प्राणायाम करना चाहिए, भ्रामरी प्राणायाम और उद्गीथ प्राणायाम के साथ ही अनुलोम विलोम प्राणायाम करें, आँखों का नियमित व्यायाम करें,साफ पानी के छीटे दें, सूर्य भगवान् को अर्ध्य दें, स्वप्नेश्वरी देवी की पूजा करें व मंत्र जाप करें, इससे बुरे स्वप्न भी नहीं आयेंगे और स्वस्थ नींद का सुख उठा सकेंगे
"स्वप्नेश्वरी देवी का मंत्र"-"शुक्ले महाशुक्ले ह्रीं श्रीं श्रीं अवतर स्वाहा।" मानसिक रूप से मंत्र का जाप करना चाहिए, हल्का व्यायाम करना न भूलें,बिना नींद बिस्तर पर न जाएँ, बिस्तर पर लेट कर टीवी नहीं देखें, नींद के लिए दवाओं का सहारा न लें,अन्यथा आप आदि हो सकते हैं, रात को भी अधिक तला हुआ भोजन न करें, भूख से अधिक कभी न खाएं, खाना खाने के करीब दो घंटे बाद ही सोने जाना चाहिए, भोजन में हरी सब्जियों का भरपूर प्रयोग करें, पानी का भी उचित मात्र में जरूर सेवन करें, नींद सही रीति से आये इसके लिए शय कक्ष में कुछ बदलाव करें, ये सुनिश्चित करें कि सर दक्षिण दिशा कि और न हो, हल्का संगीत धार्मिक संगीत सुनना या बांसुरी आदि बाद्य यंत्रों का संगीत सुनना लाभदायक, सोने के कुछ देर पहले पाँव धोने से भी अछि नींद आती हैं, जिन्हें बुरे सपने आते हों वे बाई करवट न सोयें, शराब, चरस, गुटका, तम्बाकू जैसे तमाम नशीले पदार्थों का परित्याग करें,अनियमित दिनचर्या न रखें ठीक समय पर सोये और उठें, ध्यान कि कुछ क्रियायों का ज्ञान प्राप्त कर ध्यान में उतरें, मोबाईल फ़ोन का प्रयोग कम करें व टीवी देखने का समय भी निश्चित ही रखें, सोने के कमरे में अधेरा होना चाहिए तेज रौशनी न रखें, लाल रंग का प्रयोग सोने के कमरे में कम करें, रात को रूम फ्रेशनर का प्रयोग बिलकुल न करें, देवी स्व्प्नेश्वरी कि मन ही मन पूजा करते हुए सोयें
कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ