मुझे कुछ साधक अभी कुछ दिनोँ पूर्व ही कह रहे थे कि, 'गायत्री को हम जप नहीँ सकते ।' मैने कहा, 'क्योँ ?' तो उनका ये कहना उनका ये मत है कि, 'हमेँ जातिगत बन्दीशेँ है' और स्त्री साधिकाएँ कहती है कि, 'हमेँ भी गायत्री साधना करने की अनुमति नहीँ है क्योँकि हमेँ भी स्त्री होने के कारण गायत्री मन्त्र को जपने और उसके दीक्षा विधान लेनेँ की अनुमति नहीँ है ।' मैँ ये तो नहीँ जानता कि ब्राह्मण लोग क्या कहते है और मैँ ये भी नहीँ जानता कि कुछ एक पोथीयाँ इस विषय को लेकर क्या कहती है, लेकिन ये मैँ भली प्रकार जानता हुँ कि जिस पीठ का पीठाधीश्वर मुझे आप लोगोँ ने बनाया मेरे गुरुदेव नेँ मुझे बनाया जिस सम्प्रदाय का अधिकार मेरे पास है वहाँ मैने कभी कोई इस तरह का तत्त्व आज तक नहीँ सुना, और दुसरी बात कि, तेजस्विता ऋषिकन्याओँ मेँ थी, तेजस्विता हरेक जाति, धर्म, आयु और वर्ग के व्यक्ति मेँ थी इसलिए तेज प्राप्त करना, ब्रह्मत्व प्राप्त करना तुम्हारा अधिकार है; उसे तुम कैसे छोटा सा बहाना बनाकर वंचित रह सकते हो ! शायद ऐसा सम्भव हो कि कुछ ब्राह्मण, कुछ लोग, कुछ संत, कुछ सम्प्रदाय के प्रमुख किसी कारणवश इस दिव्य तेज को तुमसे दूर रखना चाहते हो और इसी कारण उन्होनेँ तुम्हेँ इसके लिए प्रतिबन्धित किया हो लेकिन हमारे पंथ मेँ ऐसी कोई बन्दीश नहीँ है इसलिए तुम खुले मन से बिना किसी भेदभाव को विचारे...क्योँकि ये शिव का सम्प्रदाय है ये साधनाओँ का सम्प्रदाय है यहाँ तो अनेकोँ प्रकार की साधनाएँ प्रतिदिन गुरु देते है इसलिए तुम निश्चिन्त होकर इस साधना को सम्पन्न करो । इसके मन्त्र को जानोँ, उसकी दीक्षा प्राप्त करो और ब्रह्मगायत्री को अपने ब्रह्मरन्ध्र के मध्य मेँ स्थापित करो । इस प्रकार के व्यर्थ के प्रपञ्चोँ मेँ और व्यर्थ के तत्त्वोँ मेँ ना उलझना क्योँकि ये सब तुम्हारा और हमारा कार्य नहीँ है । हमेँ तेजस्विता प्राप्त करनी है और "तेज" शब्द की परिभाषा मौखिक रुप से नहीँ दी जा सकती, उसे अनुभव किया जा सकता है इसलिए हमारा तेज, तुम्हारा तेज या सृष्टि के अनेकोँ तत्त्वोँ के भीतर जो "तेज" निहित है वो गायत्री का ही तेज है । - ईशपुत्र
My name is Joanne Doe, a lifestyle photographer and blogger currently living in Osaka, Japan. I write my thoughts and travel stories inside this blog..