तंत्र ज्योतिष


तंत्र ज्योतिष समस्त जीवो पर.. पशु पक्षियों पर भी समान रूप से लागू होता है, इसलिए हमें तंत्र ज्योतिष को समझना होगा। लेकिन गहरी बात... कि हमारा भविष्य पूरी तरह से निश्चित नहीं इसलिए बिल्कुल सटीक भविष्यवाणी कोई कभी ना कर पाएगा! भगवान राम का राज्याभिषेक का मुहूर्त निकाला गया था, उसी मुहूर्त में वनवास हो गया! इसका कारण है सटीक भविष्यवाणी इसलिए भी नहीं की जा सकती क्योंकि भविष्य आधा कोरा पन्ना है ! जिसमें कुछ लकीरें है, हम बस इन लकीरों को गिन कर बता सकते हैं! 

जैसे एक उदाहरण से हम समझे कि, हम यदि दो टांगो पर खड़े हो जाए और कोई कहे कि हम उन दोनो में से एक टांग को मोड़ ले तो हम उसे ऊपर की तरफ मोड़ सकते हैं; थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन फिर कोई कहे कि अब दोनो को मोड़ लो, ये तो संभव नहीं! इसका गहरा कारण है! सहज सी बात है कि हम गिर जाएंगे, क्योंकि 50% तो हम अपने ऊपर निर्भर है कि एक टांग स्वेच्छा से मोड़ सकते हैं लेकिन दूसरी नहीं मोड़ सकते; क्योंकि वो दूसरी प्रकृति पर, परिवेश पर अथवा परमात्मा पर निर्भर करती हैं!

तो जो आपके कर्म है और जो कुछ एक आपका प्रारब्ध है उसके आधार पर कुछ हद तक आपके भविष्य को देखा जा सकता है, यही वास्तविक ज्योतिष है; और ज्योतिष का कार्य कल क्या होगा यह बताना नहीं, आपको कल क्या करना चाहिए यह बताना है ताकि आपका जीवन खुशहाल हो सके ! तो आप अपना कर देखिए इस तंत्र ज्योतिष को, कितना अलौकिक, कितना विचित्र है यह तंत्र ज्योतिष!
- कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज

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