तप ही मार्ग की खोज भाग - 1

जब तक साधक सर्वथा प्रकृतिमय जीवन ना जिए तब तक साधना मार्ग में सफलता कल्पना मात्र होती हैं! कठोर साधनाओं के लिए अति अनिवार्य है कि हम अति वैराग्य भाव से निर्लेप होकर प्रकृति के मध्य विचरण करे; इसीलिए योगी साधक बहुत कम वस्त्र धारण कर ऐसे स्थानों पर चढ़कर साधनाएं करते हैं जहां साधारण जीव जंतु नही जा पाते! ऐसे दुष्कर और क्लिष्ट स्थानों को साधना एवं योग हेतु अति उत्तम कहा गया है! साधनकाल में कम से कम वस्त्र पहने जाते हैं क्योंकि शरीर तादात्म्य स्थापित करता है

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