रविवार, 9 मई 2021

तोतला माता मन्त्र - औषधियों की देवी

 

हिमालय में सदियों से एक देवी की साधना और आराधना होती रही है, यह देवी है मां तोतला! जिसे औषधियों की देवी माना जाता है! ब्रह्मांड में जितने भी तत्व है उन में जितने भी औषधीय गुण है उन सभी की स्वामिनी है मां तोतला! मां तोतला को भगवती दुर्गा का ही एक परिविग्रह माना जाता है! मां तारा का एक स्वरूप है मां तोतला! मां तोतला का अद्भुत स्वरूप है! उनका स्मरण मात्र से रोग दूर हो जाते हैं! उनके स्मरण मात्र से ही सारी औषधियों अपना प्रभाव देने लगती है; सदियों से वैद्यों ने, चिकित्सकों ने और विविध प्रकार के योगियों, सन्यासियों और साधुओं ने अपनी औषधियों के गुणों का सही प्रयोग हो पाए इसके निमित्त मां तोतला की साधना और आराधना की है! दिव्य ऋषि चरक जैसे और उनसे भी प्रमुख ब्रह्मादि जैसे देवता भी लगातार मां तोतला की स्तुति करते हैं; क्योंकि मां तोतला का स्थान कोई छोटा सा नहीं अनंत है; ब्रह्मांड में एक अभी तक ऐसा नहीं जिसमें औषधीय गुण ना हो! माना जाता है कि केवल मनुष्य ही बीमार नहीं होता! मनुष्य के साथ-साथ ग्रह, नक्षत्र, उल्का पिंड, धूमकेतु, क्षुद्र गणिकाएं ये सब, वृक्ष, जड़-चेतन, पंच तत्व (अग्नि, जल, वायु, आकाश) ये सब भी कभी ना कभी किसी न किसी परिस्थिति में रोग ग्रसित होते हैं! और इन सब को यथारूप वापस लाने मेंऔर इन सब को यथारूप वापस लाने के लिए इस शक्ति का आश्रय लिया जाता है! इसलिए आप जीवन में जब मां भगवती मां तोतला का नाम लेते हो, जब आप उनके मंत्रों का श्रवण करते हो, उनका मनन करते हो तो सारी औषधियां आप पर फलती फूलती है और आप रोगों से दूर रहते हो! त्रिविध प्रकार के रोग: भौतिक रोग दैहिक है, मानसिक है और बौद्धिक है; तथापि सूक्ष्म रोग जो अदृश्य रूप से पनपते हैं; जिनके पीछे पूर्व जन्म के संचित कर्मो को आधार माना जाता है और आध्यात्मिक पाप; उन से भी मुक्ति मिलती है! मां तोतला के श्रवण मात्र से। मां तोतला को चार मुखों वाली देवी भी कहा जाता है! जिसमें से एक मुख मलिन मुख बहुत ही भयंकर और भयानक है! काला चेहरा है! वह मारण की क्षमता लिए हुए हैं! यह माना जाता है की सृष्टि में जो भयंकर रोग पैदा होते हैं वह भगवती के इसी चौथे मुख के कारण पैदा होते हैं! वह ठीक उनके स्वरूप के विपरीत है! जब वह मुख किसी दिशा में घूम जाए वहां मृत्यु का सन्नाटा शुरू हो जाता है! इसलिए हमें भगवती से प्रार्थना करनी चाहिए कि हम मृत्यु से अमृत्यु की ओर जाए, अंधकार से प्रकाश की ओर जाएं, मां तोतला का हम नाम सुमिरन करें। प्रस्तुत मंत्र का जप करने से, इसका श्रवण करने से मां तोतला की कृपा प्राप्त होती है! इस मंत्र को इसी प्रकार सदियों से हिमालय की श्रृंखलाओं में ऋषि-मुनियों ने गाया है, इसका जप भी किया है! तो हमें भी इस मंत्र का यथावत जप करना चाहिए; और हिमालय में जितनी भी औषधियां है उन सभी के भीतर यही मां तोतला गुप्त रूप से निवास करती है इसी कारण उन औषधियों में इतने दिव्य गुण है! जय मां तोतला!

-कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज (ईशपुत्र)

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