तेरी सोई शक्ति के जागरण का यह महा अभियान है,
तेरे रोम रोम...तेरे रोम रोम में भर दिया शिव ने अपूरव ज्ञान है !
शून्य से सम्राट का यह पथ गुरु ने तुम्हे दिया,
यह गुह्य ज्ञान का सार है, मानवता का अभिमान है!
अदृश्य को अब जान ले, दृश्य को पहचान ले!
तेरी सोई शक्ति०
में सुप्त था अब जाग कर, निद्रा व भय को त्याग कर,
बदलूं धरा की धारा को, निर्भय करूं संसार को!
प्रत्यक्ष को अब जान ले, अंतर को पहचान ले!
तेरी सोई शक्ति०
मैं शक्ति का वो पुंज हूं, बदलूं समय की धार को,
मैं ज्ञान का वो पुंज हूं, पुलकित करूं संसार को!
रहस्य को अब जान ले, प्रकट को भी पहचान ले!
तेरी सोई शक्ति०
- ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ
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