कौतुक विद्या और ईशपुत्र

महायोगी जी ने एक राजस्थान के बाजीगर से बाजीगरी कि परम्परागत कला भी सीखी....बस जंगलों में कभी हवा में उड़ कर दिखते तो कभी कुछ पैदा कर देते......लोग तो लम्बे समय तक ये ही समझाते रहे कि महायोगी जी हवा में आसन लगाते हैं....वो तो भला हो एक बच्चे का जिसने महायोगी जी से एक सार्वजानिक कार्यक्रम में पूछ लिया कि आप हवा में कैसे उड़ाते हैं.....हममेसे तो कभी किसी कि हिम्मत ये पूछने कि हुयी ही नहीं....तब महायोगी जी ने बड़ी शालीनता से बताया कि वो भी हवा में नहीं उड़ सकते ये सब तो केवल भ्रम  हैं.....भारत में जादूगरी को कौतुक विद्या कहते हैं...जो एक प्राचीन कला है......जिसे उन्होंने सीखा है.....इसलिए मन बहलाने के लिए वो ऐसा करते हैं....लेकिन शायद बच्चा ये सुन कर संतुष्ट नहीं हुआ.....उससे लगा महायोगी जी सच बोलना नहीं चाहते कि वो सचमुच उड़ते हैं....महायोगी जी ने बहुत समझाया पर वो नहीं माना....इससे महायोगी जी को अपनी भूल का एहसास हुआ कि वो जो कुछ करते हैं लोग सच ही मानते हैं......तबसे वो हर कदम सम्भल कर चलने कि कोशिश करते हैं...और उनहोंने कौतुक विद्या का प्रदर्शन बिलकुल बंद कर दिया....
 महायोगी जी का पेड़ के सहारे हवा में उड़ कर दिखाना  
 हवा में कौतुक विद्या द्वारा काफी ऊँचा उठ जाते हैं महायोगी जी
हालाँकि अभी यहाँ ज्यादा फोटो उपलब्ध नहीं हैं.....लेकिन महायोगी जी के कई चित्र बहुत ही अद्भुत है....इस पेड़ के भी महायोगी जी काफी ऊपर तक गए थे लेकिन जब तक कैमरा निकलता ऑन होता महायोगी जी वापिस उतर कर नीचे पहुँच गए थे......लेकिन आप चिंता मत कीजिये एक और चित्र देख लीजिये......महायोगी जी के तो चित्रों के भी भण्डार भरे पड़े हैं......ये सब आपकी आमानत ही तो है......मेरा प्रयास है कि मैं केवल सच लिखूं.......मैं मनाता हूँ कि
महायोगी जी मेरे प्राणप्रिय गुरु हैं.....लेकिन कहीं भी मैं कोई असा तथ्य नहीं देना चाहता जो...तथाकथित हो....हालाँकि बहुत सी बातें भूल गया हूँ.....पर मुझे संक्षेप में ही बताने को कहा गया है......अन्यथा जी तो चाहता है कि बस महायोगी जी का गुणगान करता ही रहूँ....उनके अज्ञात बिबिध रूपों का वर्णन करूँ.....इस चित्र में महायोगी जी काफी ऊपर उठ गए हैं......यहाँ एक प्रसंग याद आया कि जब महायोगी जी स्कूल में पढ़ते थे तो वहां भी महायोगी जी ने अपने सहपाठियों के मनोरंजन के लिए एक जादू का बड़ा कार्यक्रम किया था....जो बहुत ही रोमांचक रहा..
 महायोगी जी का वायु में उठा हुआ दूसरा चित्र जो जंगल में लिया गया  
 ये कोई महायोगी का चमत्कार नहीं केवल बाजीगरी का करिश्मा है  
इस चित्र को देख कर लोगो ने कई तर्क दिए...किसी ने कहा कि लहे कि रद फसा कर फोटो खिचवाई गयी है....किसी ने कहा शयद पेड़ कि टहनी पर ही बैठे हैं.....किसी ने कहा कि कम्प्यूटर कि मदद से बना दिया गया होगा....लेकिन जब महायोगी जी ने कुछ साधकों को समझाने के लिए इसे स्वयं करके दिखाया तो बोलती बंद हो गयी....जबकि वो भी केवल भ्रम ही था....महायोगी जी नें कई साधकों को ये प्रक्रिया सिखाई भी है.....पर अंततः महायोगी जी ने अपने आप को इस क्षेत्र में जाने से रोका.....

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