Headlines
Loading...

गुरुवार, 29 नवंबर 2018

भैरव के महाभय नाशक भैरव मंत्र
भय को नष्ट करने वाले देवता का नाम है भैरव
भैरव के होते है आठ प्रमुख रूप
किसी भी रूप की साधना बना सकती है महाबलशाली
भैरव की सौम्य रूप में करनी चाहिए साधना पूजा
कुत्ता भैरव जी का वाहन है
कुत्तों को भोजन अवश्य खिलाना चाहिए
पूरे परिवार की रक्षा करते हैं भैरव देवता
काले वस्त्र और नारियल चढाने से होते हैं प्रसन्न
भैरव के भक्त को तीनो लोकों में कोई नहीं हरा पता
जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए भैरव को चौमुखा दीपक जला कर चढ़ाएं
भैरव की मूर्ती पर तिल चढाने से बड़ी से बड़ी बाधा भी नष्ट होती है
भैरव के मन्त्रों से होता है सारे दुखों का नाश

भय नाशक मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय भयं हन

उरद की दाल भैरव जी को अर्पित करें
पुष्प,अक्षत,धूप दीप से पूजन करें
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें
दक्षिण दिशा की और मुख रखें

शत्रु नाशक मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शत्रु नाशं कुरु

नारियल काले वस्त्र में लपेट कर भैरव जी को अर्पित करें
गुगुल की धूनी जलाएं
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें
पश्चिम कि और मुख रखें

जादू टोना नाशक मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय तंत्र बाधाम नाशय नाशय

आटे के तीन दिये जलाएं
कपूर से आरती करें
रुद्राक्ष की माला से 7 माला का मंत्र जप करें
दक्षिण की और मुख रखे

प्रतियोगिता इंटरवियु में सफलता का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय साफल्यं देहि देहि स्वाहा:

बेसन का हलवा प्रसाद रूप में बना कर चढ़ाएं
एक अखंड दीपक जला कर रखें
रुद्राक्ष की मलका से 8 माला का मंत्र जप करें
पूर्व की और मुख रखें

बच्चों की रक्षा का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय कुमारं रक्ष रक्ष

मीठी रोटी का भोग लगायें
दो नारियल भैरव जी को अर्पित करें
रुद्राक्ष की माला से 6 माला का मंत्र जप करें
पश्चिम की ओर मुख रखें

लम्बी आयु का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय रुरु स्वरूपाय स्वाहा:

काले कपडे का दान करें
गरीबों को भोजन खिलाये
कुतों को रोटिया खिलाएं
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें
पूर्व की ओर मुख रखें

बल प्रदाता मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय शौर्यं प्रयच्छ

काले रंग के कुते को पालने से भैरव प्रसन्न होते हैं
कुमकुम मिला लाल जल बहिरव को अर्पित करना चाहिए
काले कम्बल के आसन पर इस मंत्र को जपें
रुद्राक्ष की माला से 7 माला मंत्र जप करें
उत्तर की ओर मुख रखें

सुरक्षा कवच का मंत्र
ॐ भं भैरवाय आप्द्दुदारानाय बज्र कवचाय हुम

भैरव जी को पञ्च मेवा अर्पित करें
कन्याओं को दक्षिणा दें
रुद्राक्ष की माला से 5 माला का मंत्र जप करें
पूर्व की ओर मुख रखें

कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ

बुधवार, 28 नवंबर 2018

क्या हनुमान जी, वेद व्यास जी स्थूल शरीर में है या सूक्ष्म शरीर में है ?
आशुतोष भैरव जी - साधक का एक और प्रश्न आया है कि, क्या हनुमान जी, वेद व्यास जी स्थूल शरीर में है या सूक्ष्म शरीर में है जी ?
ईशपुत्र - देखिए, सूक्ष्म शरीर में तो हर व्यक्ति है, सूक्ष्म में भी और स्थूल में भी, सदैव । जब भी कोई चीज दृश्यमान सत्ता से उस पार हो जाए उसको सूक्ष्म कहा जाता है और इस सूक्ष्म में तो ब्रह्मांड में बहुत कुछ घटित हो रहा है जो हमें इन चर्मचक्षुओं  से दृष्टिगोचर नहीं होता । आज तो विज्ञान भी जानता है, विज्ञान क्या आपको भी तो मालूम है, कितनी तरह की तरंगे, रेडिएशन, वाइब्रेशन हमारे ब्रह्मांड में घूम रही है, हम उनको देख नहीं पाते बिना यंत्र की सहायता से, तो यह सब चीजें सूक्ष्म है । और कुछ चीजें प्रत्यक्ष में हैं जैसे आप मुझे देख पा रहे हैं । इन महानतम हस्तियों के बारे में यह कहा गया है कि यह 'अवतारी पुरुष' है, सदेह इस पृथ्वी पर रहेंगे । अब कारण यह है कि यदि सदेह है तो यहां सेटेलाइट लगे हुए हैं ऊपर से, सर्च कर रहे हैं पृथ्वी को, एक-एक व्यक्ति का आजकल पासपोर्ट बन रहा है, उसके आईडी प्रूफ बन रहे हैं, सब चीजें बन रही है, किस गांव का है, किस एरिया में रहता है, हिमालय कितना है, तो हर जगह मिलिट्री लगी हुई है, सीमाएं बनी हुई है तो यह लोग कहां है ? अगर यह सशरीर है तो दिखाई क्यों नहीं देते ? ऐसी बातों का, ऐसे प्रश्नों का हम जैसे योगियों के पास या ऐसे योगियों के पास जो वहां जनता के बीच में रहते हैं, जब जनता, साधक या भैरव-भैरवी इस तरह के प्रश्न पूछते हैं तो उत्तर नहीं होता, तो अपने आप को बचाने के लिए यह कहा जाता है कि वह लोग सूक्ष्म शरीर में है । लेकिन आप शास्त्र और पुराणों को पढ़ेंगे उसमें लिखा गया है वह इसी देह में सदेह चिरंजीवी है, ना कि वो सूक्ष्म शरीर में चिरंजीवी है । सूक्ष्म शरीर में तो कोई भी चिरंजीवी हो सकता है इसलिए यह तर्क बिल्कुल गलत है । वह सदेह ही विद्यमान है लेकिन कहां है, कैसे हैं यह बताना अभी मेरा विषय नहीं है लेकिन मैंने आपको इशारा ये जरूर कर दिया है कि सूक्ष्म शरीर से उनका ज्यादा लेना-देना अभी नहीं है ।

मंगलवार, 6 नवंबर 2018

देवी लक्ष्मी की लघु साधना-दीपावली विशेष
दीपावली स्वतः सिद्ध मुहूर्त है. तंत्र पथ अथवा मंत्र साधकों को किसी मुहूर्त विशेष को शोधने की जरूरत नहीं होती. वो केवल साधना करता है. दीपावली धन, यश, मान, स्वास्थ्य, गृहस्थ सुख तो देती ही है लेकिन ये समय आपके जीवन को अनेक लाभ दे सकता है यदि आप जानते हों कि कौन सी साधना अप पर ठीक बैठती है. गुरु से दीक्षा लेने के लिए भी ये मुहूर्त बड़ा ही श्रेष्ठ माना जाता है. लक्ष्मी देवी या कहें माँ श्री विद्या का काल होने से गरीब से गरीब भी साधना कर जीवन में उत्थान को प्राप्त कर सकता है. इस काल में श्री सूक्त का पाठ अथवा श्रवण आम भक्त के लिए वरदान स्वरुप होता है. मंत्र का जाप भी अत्यंत लाभदायक होता है.
मंत्र-ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले जाग्रय-जाग्रय हुं

इस काल में बीसा यन्त्र या श्रीयंत्र घर में स्थापित करना बड़ा ही शुभ प्रभाव देता है. हत्था जोड़ी, श्वेतार्क गणपति, रुद्राक्ष, मानिंक आदि घर में स्थापित करना धनदायक होता है. यदि आप रोजगार प्राप्त नहीं कर पा रहे तो निम्न यन्त्र को बना कर अपने पास रखें व दीवाली की रात ही इसे लिखें और पूजन करें.
यन्त्र-
६६६ ९९९ ६६६
९९९ ३३३ ९९९
३३३ ९९९ ३३३
देवी के मंत्र का जाप करने के लिए रुद्राक्ष या कमलगट्टे की माला का ही प्रयोग करें. उत्तर दिशा की और या पूर्व की और मुख रखना चाहिए. लाल रंग का आसन बिछाना चाहिए. अपनी रक्षा या तंत्र प्रयोगों से बचाव के लिए गुरु मंत्र या हिमालय मंत्र का जाप करें. इससे किसी भी तरह का जादू टोना तंत्र मंत्र प्रभावहीन हो जायेगा.
मंत्र-
ॐ महाकालाय विकर्तनाय मायाधराय नमो नम:
उपरोक्त सभी मन्त्रों की कम से कम पांच माला तो जरूर करें यदि आप साधक है तो ५० माला करने से लाभ मिलता है. देवी को लाल फूल व खीर पंचमेवे का भोग लगायें. यदि आपके पास धन अथवा समय का आभाव है तो एक लाल कपडे का टुकड़ा या चुनरी ले कर पांच दीये देवी के मंदिर ले जा कर चढ़ा दें. देवी अवश्य कृपा करेंगी.
-कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ

शनिवार, 3 नवंबर 2018

कौतुक विद्या और ईशपुत्र
महायोगी जी ने एक राजस्थान के बाजीगर से बाजीगरी कि परम्परागत कला भी सीखी....बस जंगलों में कभी हवा में उड़ कर दिखते तो कभी कुछ पैदा कर देते......लोग तो लम्बे समय तक ये ही समझाते रहे कि महायोगी जी हवा में आसन लगाते हैं....वो तो भला हो एक बच्चे का जिसने महायोगी जी से एक सार्वजानिक कार्यक्रम में पूछ लिया कि आप हवा में कैसे उड़ाते हैं.....हममेसे तो कभी किसी कि हिम्मत ये पूछने कि हुयी ही नहीं....तब महायोगी जी ने बड़ी शालीनता से बताया कि वो भी हवा में नहीं उड़ सकते ये सब तो केवल भ्रम  हैं.....भारत में जादूगरी को कौतुक विद्या कहते हैं...जो एक प्राचीन कला है......जिसे उन्होंने सीखा है.....इसलिए मन बहलाने के लिए वो ऐसा करते हैं....लेकिन शायद बच्चा ये सुन कर संतुष्ट नहीं हुआ.....उससे लगा महायोगी जी सच बोलना नहीं चाहते कि वो सचमुच उड़ते हैं....महायोगी जी ने बहुत समझाया पर वो नहीं माना....इससे महायोगी जी को अपनी भूल का एहसास हुआ कि वो जो कुछ करते हैं लोग सच ही मानते हैं......तबसे वो हर कदम सम्भल कर चलने कि कोशिश करते हैं...और उनहोंने कौतुक विद्या का प्रदर्शन बिलकुल बंद कर दिया....
 महायोगी जी का पेड़ के सहारे हवा में उड़ कर दिखाना  
 हवा में कौतुक विद्या द्वारा काफी ऊँचा उठ जाते हैं महायोगी जी
हालाँकि अभी यहाँ ज्यादा फोटो उपलब्ध नहीं हैं.....लेकिन महायोगी जी के कई चित्र बहुत ही अद्भुत है....इस पेड़ के भी महायोगी जी काफी ऊपर तक गए थे लेकिन जब तक कैमरा निकलता ऑन होता महायोगी जी वापिस उतर कर नीचे पहुँच गए थे......लेकिन आप चिंता मत कीजिये एक और चित्र देख लीजिये......महायोगी जी के तो चित्रों के भी भण्डार भरे पड़े हैं......ये सब आपकी आमानत ही तो है......मेरा प्रयास है कि मैं केवल सच लिखूं.......मैं मनाता हूँ कि
महायोगी जी मेरे प्राणप्रिय गुरु हैं.....लेकिन कहीं भी मैं कोई असा तथ्य नहीं देना चाहता जो...तथाकथित हो....हालाँकि बहुत सी बातें भूल गया हूँ.....पर मुझे संक्षेप में ही बताने को कहा गया है......अन्यथा जी तो चाहता है कि बस महायोगी जी का गुणगान करता ही रहूँ....उनके अज्ञात बिबिध रूपों का वर्णन करूँ.....इस चित्र में महायोगी जी काफी ऊपर उठ गए हैं......यहाँ एक प्रसंग याद आया कि जब महायोगी जी स्कूल में पढ़ते थे तो वहां भी महायोगी जी ने अपने सहपाठियों के मनोरंजन के लिए एक जादू का बड़ा कार्यक्रम किया था....जो बहुत ही रोमांचक रहा..
 महायोगी जी का वायु में उठा हुआ दूसरा चित्र जो जंगल में लिया गया  
 ये कोई महायोगी का चमत्कार नहीं केवल बाजीगरी का करिश्मा है  
इस चित्र को देख कर लोगो ने कई तर्क दिए...किसी ने कहा कि लहे कि रद फसा कर फोटो खिचवाई गयी है....किसी ने कहा शयद पेड़ कि टहनी पर ही बैठे हैं.....किसी ने कहा कि कम्प्यूटर कि मदद से बना दिया गया होगा....लेकिन जब महायोगी जी ने कुछ साधकों को समझाने के लिए इसे स्वयं करके दिखाया तो बोलती बंद हो गयी....जबकि वो भी केवल भ्रम ही था....महायोगी जी नें कई साधकों को ये प्रक्रिया सिखाई भी है.....पर अंततः महायोगी जी ने अपने आप को इस क्षेत्र में जाने से रोका.....

शुक्रवार, 2 नवंबर 2018

वज्र देह दानव दनल महाबीर हनुमान


dharm‎ > ‎

बज्र देह दानव दनल महाबीर हनुमान



जब बक्तों के प्यारे बजरंगबली पैदा हुए थे, शिव ने भक्तों की रक्षा के लिए व भगवान् राम जी की सेवा व राम काज को पूरा करने के लिए मृत्यु लोक अर्थात पृथ्वी पर पवनदेव के तेज से बानर राज केसरी और रानी अंजनी के घर जन्म लिया, अत्यंत बलशाली होने के कारण नाम पड़ा महाबीर बजरंगबळी, बाल्यकाल से अद्भुत सिद्धियाँ होने व पवन पुत्र होने के कारण हवा में उड़ने व किसी भी लोक तक चले जाने की क्षमता उनमें थी, बाल्यकाल से ही उनहोंने कई राक्षसों का बध करना शुरू कर दिया था, सूर्य को आकाश में देख कर उसे निगल लिया तब सभी देववी देवताओं नें प्रार्थना कर उनसे सूर्य को मुक्त करने को कहा तो बजरंगबळी ने सूर्य को बाहर उगला, सूर्य भगवान् नें प्रसन्न हो कर उनको अपना शिष्य बना लिया, भगवान् सूर्य जैसे गुरु से ज्ञान पा कर महाबीर का सामना करने का साहस तीनों लोकों में किसी के पास नहीं रहा, लेकिन महाबीर बालक होने के कारण अक्सर तपस्यारत र्तिशी मुनियों से भी छेड़ छाड़ करते कुपित हो कर ऋषियों ने उनको शक्तियां भूल जाने का शाप दिया, क्षमा याचना पर ऋषियों नें कहा की समय अनुसार आवशयकता पड़ने पर तुम्हारी शक्तियां वापिस आ जाएँगी, जब राम जी को माता सीता का वियोग हुआ तब हनुमान जी से उनका मिलन हुआ, राम लक्ष्मण को कन्धों पर उठा कर वायु मार्र्ग से सुग्रीव तक ले गए,समय आने पर महाबीर ने लंका कूद कर पार कर ली, मार्ग में आने वाली बाधाओं व परीक्षाओं को धैर्य व नीति पूर्वक पूरण किया, अशोक वाटिका उजाड़ कर राक्षस वीरों को स्वर्ग पहुंचाया, मरणासन लक्ष्मण को बचाने के लिए हिमालय पर्वत से एक पहाड़ ही उठा कर ले आये, जब मेघनाद नें भगवान् राम और लक्षमण को नागपाश में बाँध लिया तब वैकुण्ठ जा कर गरुड़ जी को ले कर आये, युद्ध में कई वीरों को यमलोक पहुंचाया, सीता माता की सबसे पहले सुधि लाने वाले हनुमान जी ही थे, अयोध्या वासियों तक सीता राम के आगमन का उनहोंने ही समाचार पहुँचाया, रावण की कैद से शनि को मुक्त करवाया, जब शनि नें पिता से अभद्रता की तो, सूर्य के कहने पर शनि को पीट-पीट कर अधमरा कर दिया और भगवान् सूर्य के सामने उपस्थित कर दिया, सीता माता द्वारा दी गयी मोतियों की माला को तोड़ कर दरवारियों के कहने पर हन्मुमान जी नें सीना चीर दिया और अपने प्रब्न्हू राम सीता की युगल मूर्ती के दर्शन संसार को करवाए, लवकुश से युद्ध के दौरान बुद्धि संयम का अद्भुत परिचय दिया, बालकों के पाश में बांध गए, भगवान् राम जी के सरयू नाड़ी में सनान्न के बाद वैकुण्ठ लौटने पर भी महाबीर भक्तों की रक्षा और धर्म की स्थापना के लिए पृथवी पर ही रहे, रामायणकाल के अतिरिक्त महाभारतकाल में जब भीम को अपने बल का घमंड हो गया तो हनुमान जी नें उनको कहा कि भीम तुम मेरी पूंछ उठा कर एक और कर दो, लेकिन पूरा प्रयास करने पर भी भीम पूंछ को हिला तक नहीं पाए, भगवान् श्रीकृष्ण जी और अर्जुन के रथ पर ध्वजा में स्वयं महाबीर उपस्थित रहे, इसीलिए युद्ध के पश्चात श्रीकृष्ण अर्जुन का रथ धमाके के साथ नष्ट हो गया, क्योंकि हनुमान जी नें रथ को छोड़ दिया था, कलियुग में भी हनुमान जी जीवित ही माने जाते है क्योंकि उनको चिरंजीवी होने का आशीर्वाद मिला है, महाभारत के अनुसार महाबीर हनुमान आज भी गंधमादन नाम के पर्वत पर रहते हैं, कहा जाता है की जहाँ जहाँ रामायण का पाठ होता है हनुमान जी सूक्ष्म रूप या प्रत्यक्ष रूप में जरूर वहां आते हैं, कलियुग में गोस्वामी तुलसीदास जी को राम लक्ष्मण जी के दर्शन भी हनुमान जी ने ही करवाए थे, हनुमान जी का इतना बल है की पातळ में अहिरावन को मार कर महाबीर हनुमान जी नें उसकी भुजाएं ही उखाड़ ली थी, ज्ञानियों में प्रथम रहने वाले, भक्तों को ज्ञान देने वाले, भूत प्तेतों का नाश करने वाली महाबीर का सुमिरन ही सब दुखों का नाश करने वाला है, नीच ग्रह यक्ष, किन्नर,किरात आदि सब इनके भय से थर-थर कांपते हैं, तो मान्गियें शीघ्र प्रसन्न होने वाले हनुमान जी से सकल मनोरथ, मानिये हनुमान जी को और शत्रुओंका रोगों का दुखों का नाश कीजिये, पाइए धन वैभव, नीच ग्रहों से मुक्ति पा कर सुखद जीवन का आशीर्वाद पाइए 
                                                              शत्रु नाश के लिए, रोग मुक्ति के लिए, रोजगार व व्यापार में लाभ के लिए,विद्या व बुद्धि के लिए, बलशाली शरीर के लिए,शनि मंगल राहु केतु जैसे नीच ग्रहों से मुक्ति के लिए, अकाल मृत्यु व दुर्घटना आदि से बचाव, हनुमान जी की कृपा पाने व दर्शन करने के लिए महामंत्र 

ॐ हं हनुमते नम:

हनुमान गायत्री

शाबर स्तुति मंत्र

स्तुति मंत्र

-कौलान्तक पीठाधीश्वर 
महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज