गुरुवार, 7 मार्च 2019

बीजमन्त्र साधना

देवी महालक्ष्मी जी का लघु बीज है "श्रीं" जिन्हे श्रींकारिणी भी कहा जाता है, तो "श्रीं" महालक्ष्मी बीज है, जो आपको अखण्ड धन-धान्य, लाभ और संपत्ति सुख देनेवाला है । कर्म कीजिए और साथ मेँ ये साधना कीजिए...गुरुवार के दिन देवी महालक्ष्मी जी का विग्रह लाकर उसे स्थापित किजिए और उनको चुनरी चढाईए, श्रृंगार की सामग्री दीजिए, पंचोपचार पूजन किजीए और उस दिन भी व्रत किजीए, फलाहार किजीए । शाम को सन्ध्या होने पर पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी जी के सम्मुख एक अखण्ड दिया आपको जलाना है व पुष्प आपको अर्पित करने है । तो देवी को खीर का प्रसाद बनाकर के आप विशेष तौर पर अर्पित किजीए और लाल रंग का कम्बल चुनिए (जो भूमि से थोडा उँचा हो) उसी पर बैठकर आपको मंत्र का जाप करना है । आपका मंत्र है : श्रीं ॥ तो कमलगट्टे की माला से आपको महालक्ष्मी जी के बीजमंत्र की 7 मालाओँ का जाप करना है । तो बीजमंत्र को यदि आप रक्त चंदन से भोजपत्र पर लिखते है तो आप पर महालक्ष्मी की कृपा होती है और निरंतर आप जब ये साधना भी हो जाए तो लगातार इस मंत्र का जाप करते रहेँगे तो भगवती की कृपा से आपके समस्त कार्य बनने लगते है ।

अभय बीजमन्त्र - अभय का मतलब है निर्भय, जहाँ आपको किसी प्रकार का भय न रहे । अगर आपको किसी भी तरह का भय लगता है तो उसके लिए "भं" नाम का बीज है जो भैरव देवता का बीज है । भैरव इसके अधिष्ठाता देवता माने गये है जो समस्त ग्रहबाधा, भूतबाधा, तन्त्रबाधा का नाश करनेवाले है और ये मन्त्र "अचूक मन्त्र" और "अकाट्य मन्त्र" भी कहा गया है । इसका विधान है कि शुक्रवार अथवा शनिवार मेँ से किसी भी एक दिन भैरव देवता के विग्रह का आप स्थापन करेंगे, फिर पंचोपचार पूजा उनकी विधिवत् संपन्न करेंगे और संभव हो तो उस दिन भी आपको व्रत ही रखना चाहिए । शाम को जब ये संपूर्ण पूजाक्रम आपका समाप्त हो जाए तो पूजास्थल पर ही एक छोटा सा त्रिशूल स्थापित करना है आपको भैरव की प्रतिमा के सामने और फिर वहीं पर भैरव देवता का मानसिक रुप से आवाहन करना है । लड्डु का प्रसाद बनाकर भैरव को आप अर्पित कर दीजिए और फिर लाल रंग का कम्बल चुनकर उसका आसन बनाकर उसपर स्थित होकर के "भं" बीजमन्त्र का आपको जाप करना है । हकीक की माला या रुद्राक्ष की माला मेँ से कोई भी माला लेकर आप पाँच माला का मन्त्रजाप करेंगे । बीजमन्त्र को यदि आप कपूरमिश्रित स्याही से लिखते है, किसी भी स्याही मेँ यदि आप कपूर मिलाकर उसे लिखते है भोजपत्र पर तो इससे ये मन्त्र उत्कीलित होता है और भैरव की कृपा आपको शीघ्र प्राप्त होती है ।
- महासिद्ध ईशपुत्र