- महासिद्ध ईशपुत्र
बुधवार, 24 अक्टूबर 2018
श्री मातंगी महाविद्या साधना
मातंगी के बिना पूरा जीवन अधूरा है । जिस व्यक्ति को अपने जीवन में प्रेम अनुभव नहीं हुआ हो, जिस व्यक्ति को अपने जीवन में "गुरुत्व" का एहसास नहीं हुआ हो, किस व्यक्ति को अपने होने का अभी तक बोध नहीं हुआ हो उसके लिए मातंगी साधना बड़ी ही अनिवार्य है, क्योंकि हम पैदा तो हो जाते हैं हम ज्ञान विज्ञान सीख लेते हैं, बुद्धि-बल और विवेक भी हमें आ जाता है और हम पूरी जिंदगी जीते चले जाते हैं लेकिन धीरे धीरे धीरे सब नष्ट होता जाता है और जीवन का जो आखिरी भाग हमारे पास आता है वह बहुत ही खराब भाग होता है; तब हमारे पास कुछ नहीं होता जब तक हम सुंदर है, सौंदर्यशाली हैं, सामर्थ्यवान है तब तक ही हमारी जय जयकार होती है, तो मातंगी आपको नित्य बनाती है इसलिए शब्द है नित्य कन्या और नित्य पुरुष; जो पहले भी थे आज भी है और भविष्य में भी रहेंगे ! जिनको "चिरंजीवी" भी कहा जाता है, तो आपकी चेतना भी चिरंजीवी हो जाए, आपके भीतर भी स्थायित्व हो जाए वह सब आपको मातंगी देती है और याद रहे हम पृथ्वी पर कोई भी काम तब तक नहीं कर सकते जब तक उसमें आनंद ना हो, जब तक उसमें रस ना हो, जब तक उसमें दिव्यता ना हो और वह रस जो है वह आपको मातंगी देगी । अब आपको अगर मैं आप लोग कहीं से आ रहे हो और इतना बड़ा फूलों का गुलदस्ता बनाकर आपको समर्पित करुं । अगर आपने फूलों के प्रति उसका सौंदर्य है, मेरे प्रेम को समझने की बुद्धि है तब तो आप उस को संभाल कर रखेंगे लेकिन अगर नहीं है तो सामने भैंस आ रही होंगी उसको खिला देंगे कि, "ले जी तेरे लिए बढ़िया वाला चारा है ।" तो फर्क तो एक ही चीज का है केवल उस स्थिति का है, इसलिए धर्म को भी सभी लोग नहीं समझ सकते । आप कोशिश करके देखिए । किसी नास्तिक को जाकर धर्म समझाइए जरा, मैं मान जाऊंगा यदि आप समझाने में कामयाब हो गए । क्यों ? क्योंकि उसके पास वो तन्तु ही नहीं हैं, उसके पास वह सामर्थ्य ही नहीं है ।जब आप धर्म को समझ सकते हैं तो वह भी तो समझ सकता होगा, दिमाग तो उसके पास भी वही है, मेरे पास भी वही है....अगर मैंने भी विज्ञान की पढ़ाई की है, अगर मेरे भी मस्तिष्क में नास्तिकतावाद है, आस्तिकतावाद है, धर्म है, दर्शन है, तब भी मेरे मन में दृढ़ विश्वास है कि, 'धर्म का यह पक्ष सत्य है', तो मुझे कहीं से तो वह विचार आ रहा है, कोई तो मुझे वह दे रहा है और उसको भी यदि वह नहीं समझ आ रहा है वह नहीं समझ पा रहा है तो उसे भी वह तत्व कोई दे रहा है । तो वो सब संचालित करने वाली शक्ति मातंगी होती है ।मातंगी के कारण ही मुनि मातंग हुए थे उनकी कथा कहीं ढूंढिएगा पढ़िएगा की कितनी अद्भुत कथा उनकी थी । तो मातंगी शक्ति के बिना मैंने कहा कि जीवन अधूरा है ।आपके पास सामर्थ्य होनी चाहिए समझने की, आपके पास सामर्थ्य होनी चाहिए किसी भी चीज को ग्रहण करने की । ये ठीक वैसे ही कि आप संध्या के समय कहीं बैठे हो और कोई व्यक्ति सामने से आए, आने के बाद वह आपकी स्तुति करें, आपकी प्रशंसा करें और बहुत ज्यादा आपकी तारीफ करें इतनी ज्यादा कि इससे पहले पृथ्वी पर किसी की तारीफ ना हुई हो और बाद में उसे पता चले कि आप तो बहरे थे । तो उस प्रशंसा का कोई सार नहीं रह जाएगा । वैसे ही सृष्टि है, ये प्रतिपल आपको आनंद देना चाहती है क्योंकि माया है । योगमाया है वह तो आपकी मां है और अगर वह हमारी मां है तो सागर भी मुझे आनंद देगा, यह लाइट्स भी मुझे आनंद देगी, यह पर्दे भी आनंद देंगे, आप लोग भी मुझे आनंद देंगे क्योंकि सब मेरी मां का ही तो है ! वह मेरे विरुद्ध कैसे जाएगा लेकिन मुझे वह आनंद सुनाई नहीं देगा क्योंकि मैं अभी बहरा हूं । तो वो कान खोलने के लिए, उस आनंद को जानने के लिए मातंगी अपने आप में एक प्रमुख विद्या है ।
- महासिद्ध ईशपुत्र
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1 टिप्पणी:
🕉 namah shivaye hari bol guruji parnaam Aapke margdarshan ka ecchuk hoon kirpaya mujkh par bhi apni drastically daal kar kritarth karen guruji hari 🕉 guruji kirpaya mera nivedaan sweekaar Karen or apne sanindhay ka parsaad dain aapke paratiuttar ka abhilaashi 🕉 guruji jai shri ram guruji parnaam hari 🕉 guruji.
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