प्रेम अनाहत चक्र से उत्पन्न होता है. ह्रदय अनाहत चक्र ही है. योग में एक ऐसा गोपनीय चमत्कार छिपा है जिसे जान कर आप हैरान हो जायेंगे. कोई दूसरा व्यक्ति हमसे इसलिए नफरत करता है क्योंकि आपका अनाहत चक्र उसे प्रेम की तरंगे नहीं भेजता या वो आपकी तरंगों को ग्रहण नहीं कर पाता. यदि आप कसी को अपना बनाना चाहते हैं या चाहते हैं की सभी आपकी ओर प्यार भरी निगाह से देखें, तो एक आसन सा उपाय है अनाहत चक्र पर ध्यान करना. जी हाँ ध्यान करना! सुबह के समय कुछ देर आराम से आलथी पालथी मार कर जमीन पर बैठ जाएँ. इस अवस्था को सुखासन कहा जाता है. और जहाँ दोनों फेफड़े जुड़ते है यानि छाती का मध्य भाग, आँख बंद कर उस स्थान पर ध्यान लगायें. अब लम्बा और गहरा श्वास भीतर भरते जाएँ और सोचें की आपकी नासिका से बादल भीतर जा रहे हैं और बारिश कर रहे हैं. जिससे एक दिव्य कमल का फूल खिल गया है. फूल के खिलते ही अन्दर से एक और फूल निकल रहा है उसके भीतर एक और,उसके भीतर एक और. इस तरह लगातार खिलता ही जा रहा है. चारों और सुगंध फैल गयी हैं. अब जब बहुत आनंद आने लगे तो उस पुष्प पर अपने इष्ट देवता का ध्यान करें.
फिर गुरु का
फिर उस व्यक्ति विशेष का जिसे आप प्रेम करते हैं. कुछ दिन इस क्रिया को दौहराइये और फिर देखिये चमत्कार. किसी मंत्र की भी जरूरत नहीं ये ध्यान का एक छोटा सा भाग है. लेकिन यदि आप लम्बे समय तक इसे करते हैं और किसी व्यक्ति विशेष की जगह गुरु और इष्ट का ध्यान करते हैं तो महाचमत्कार होगा. आप बहुत से लोगो के चहेते बनने लग जायेंगे. आपके शत्रु भी आपसे मित्र जैसा व्यहार करने लग जायेंगे.
-कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज
फिर गुरु का
फिर उस व्यक्ति विशेष का जिसे आप प्रेम करते हैं. कुछ दिन इस क्रिया को दौहराइये और फिर देखिये चमत्कार. किसी मंत्र की भी जरूरत नहीं ये ध्यान का एक छोटा सा भाग है. लेकिन यदि आप लम्बे समय तक इसे करते हैं और किसी व्यक्ति विशेष की जगह गुरु और इष्ट का ध्यान करते हैं तो महाचमत्कार होगा. आप बहुत से लोगो के चहेते बनने लग जायेंगे. आपके शत्रु भी आपसे मित्र जैसा व्यहार करने लग जायेंगे.
-कौलान्तक पीठाधीश्वर
महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज