महायोगी जी जगत कल्याण के लिए भी हिमालय छोड़ कर नहीं आना चाहते थे
महायोगी जी को इक्कीसवें वर्ष में "कौलान्तक पीठाधीश्वर"बनाया गया......वो भी साधना और ज्ञान में सबसे श्रेष्ट होने के कारण व अनेकों विद्याओं के जानकार…
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