"बंद कमरों...सड़कों....शहरों और भीड़ से दूर निकल कर तुम खुद को महसूस करो.......अपने शरीर को...अपने अस्तित्व को.......अपने ह्रदय को.......अपनी क्षमताओं को.......और रुके हुए...धीरे-धीरे बहते समय को........अन्यथा नकली वातावरण में तुम कहीं अपने असलीपन को अपने होने के आनंद को न खो देना"-'कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज'-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय.
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