ईशपुत्र के शुभ विचार


1. कलियुग है ! शास्त्रानुसार तो ये बुरा समय आना ही था । इसे रोकना मुश्किल है । हर ओर अधर्मियों का साम्राज्य हो चुका है । तो हम क्या हाथ बांधे बैठे रहे ? ये मुझसे तो न होगा, तुम्हारी तुम जानो । मैं लड़ूंगा इस पूरी व्यवस्था से । अन्त की चिंता किसे है ? मेरे मन में सतयुग का साम्राज्य है और मैं एक योद्धा हूं । हारना जीतना तो लगा रहेगा, प्रयास है कि अभी और यहीं सतयुग हो ।
               -चिन्तन-
"प्रेम जीवन की सबसे अमूल्य पूंजी है पर प्रेम किसी और से नहीं केवल तुमसे ही उपजता है इसे अनुभूत कर लेना ही योग है"
   -महायोगी सत्येन्द्र नाथ 

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

yogasana mala book pdf format me mil sakti hai, ydi appke pas available ho to bhejne ki kripa kare,
dhanyabaad

बेनामी ने कहा…

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