प्रस्तुत चित्र के सम्बन्ध में कौलान्तक पीठ को बहुत से मेल प्राप्त हुए हैं कि क्या ये फोटो असली है या नकली या ग्राफिक्स है या मेकअप ? आदि-आदि........आप सब सुधि साधकों के लिए हम ये बताना चाहेंगे कि कौलान्तक पीठ कोई भी कृत्रिम चित्र आपके समक्ष नहीं रखता और न ही इसमें विश्वास रखता है. क्योंकि कौलान्तक पीठाधीश्वर नहीं चाहते कि लोग उनकी बड़ाई करें या उनके पीछे चलें.ये चित्र एक ही नहीं है बल्कि आठ दस उपलब्ध हैं अलग-अलग स्थानों से खीचे गए हैं. इसमें महायोगी जी शिव की औघड़ साधना साधना कर रहे हैं. इस साधना को बिना किसी इच्छा या कामना के किया जाता है. शरीर पर प्रतिदिन मिटटी मली जाती है व शरीर पर फेंकी जाती हैं. आपको चित्र में ऊपर से गिरी मिटटी साफ नजर आ रही होगी. साथ ही आपको ये बताना चाहेंगे कि ये छोटे-छोटे कीड़े हानि रहित होते हैं व मनुष्य को नहीं काटते, बरसात के दिनों में हर कहीं सरलता से पाए जाते हैं. बस अंतर केवल इतना है कि कुछ लोग बाहर के शरीर को देख कर प्रभावित होते है जबकि हमें और साधकों को भीतर की चिंता होती है.......क्योंकि ये सब जानते हैं कि महायोगी जी लम्बे-लम्बे समय तक बिना भोजन किये रहते हैं जिससे उनकी हालत बहुत खराब हो जाती है.इस स्थान पर महायोगी जी बहुत दिनों तक साधनारत रहे थे. ये चित्र एक साधारण चित्र है जबकि भविष्य में महायोगी जी के इससे भी अद्भुत चित्र हम प्रस्तुत करेंगे. किन्तु आपसे प्रार्थना है कि ऐसा करने का प्रयास बिना योग्य निर्देश के न करें. भविष्य में भी कोई संदेह होने पर केवल ई मेल कर दिया करें.......भारत अफवाहों का देश है. यहाँ लोग वास्तविकता नहीं जानना चाहते. केवल राय प्रस्तुत करते हैं जो सदा स्थिति बिगाड़ देता है. हम केवल भारत के वास्तविक योगियों का एक स्वरुप आपके सामने रखने का प्रयास करते हैं. कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज कहते हैं कि उनको "न तो आपके द्वारा दिए गए पैसे या दान आदि ही चाहिए न ही आपकी प्रशंसा या स्तुति और न ही वो किसी से मिलना चाहते हैं.........वे बनों और हिमालयों में प्रसन्न हैं........बुद्धि जीवियों की दुनियां से दूर.....जैसे धतूरे का फूल बद्वूदार होता है...जहरीला होता है......फिर भी शिव उसे स्वीकारते हैं....वैसे ही मैं अवगुणी हूँ.....बाकि लोगों जैसा गुणवान...विद्वान....सुन्दर.....तपस्वी....तार्किक.....या वैज्ञानिक......नहीं.....न ही कोई बड़ा चिन्तक हूँ........बस मूढ़ शिव भक्त हूँ........धतूरे जैसा......पर शिव का हूँ."
आशा है आप भारतीय सनातन पर चोट करने वालों से सजग रहेंगे. क्योंकि हमें बाहरी तत्वों से कम किन्तु अपने लोगों से सदा खतरा अधिक रहा है-ॐ नम: शिवाय-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय.
आशा है आप भारतीय सनातन पर चोट करने वालों से सजग रहेंगे. क्योंकि हमें बाहरी तत्वों से कम किन्तु अपने लोगों से सदा खतरा अधिक रहा है-ॐ नम: शिवाय-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय.