मंगलवार, 25 जुलाई 2023

"ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ" के दिव्य "वचन" - 1

 १) अपने मुख में स्थित जिह्वा को ईश्वर और उसके संतों (दूतों) के यशोगान में लगा दो, तो त्रिलोकी, ब्रह्माण्ड और ईश्वर तुम पर अपना स्नेह बरसाने लगेंगे। जीवन में ईश्वरीय चमत्कार होगा।


२) अपने आप को पवित्र जानो क्योंकि ईश्वर नें तुमको पवित्र ही बनाया है तथापि पापों से मुक्ति के लिए पंच तत्वों का प्रार्थना सहित प्रयोग करो। जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, वायु सबमें तुम्हारे पापों को सोखने की क्षमता है क्योंकि ईश्वर नें ये कार्य इनको दिया है।


३) ये मत भूलो की जिस तरह संसार में तुम्हें संबंधी दिए गए हैं और तुम उनके और अपने सम्बन्ध को सत्य मानने लगते हो, जो केवल इसका अभ्यास करने के लिए हैं की तुम ईश्वर से अपना सम्बन्ध बना सको।


४) तुमको जीवन में विश्राम हेतु नहीं, काम हेतु भेजा गया है। मृत्यु विश्राम ले कर आ रही है, किन्तु चिंता करना! तुम ईश्वर से क्या कहोगे की तुमने सृष्टि को कैसा पाया और क्या योगदान दिया?


५) ब्रह्माण्ड और संसार को नाश (कयामत) के लिए उत्तपन्न नहीं किया गया है। ये तो ईश्वर नें अपने और तुम्हारे विलास के लिए बनाया है। युक्ति से यहाँ जीना, आदर्श वचनों और जीवन आचरण को ही जीने की रीति जानना। तब तुम्हारे लिए ब्रह्माण्ड के द्वार भी खोल दिए जायेंगे। प्रलय तो केवल एक महाविश्राम है।


६) मेरे वचनों पर श्रद्धा रख, अपने ईश्वर को सदा पुकारते रहना। क्योंकि मैंने उसका स्नेह पुकारने के कारण पाया और अब वो तुम्हारी ओर देखते है।


७) ईश्वर का आभार व्यक्त करने के लिए तुम पत्थरों पर पत्थर रख कर एक ढेर बनाओ या फिर मंदिर, मठ, पूजाघर। ईश्वर तुम्हारे प्रेम के कारण सबको एक सा ही देखता है और तुम्हारे सुन्दर प्रयासों पर मुस्कुराता है।


८) ईश्वरीय अवतार या दूतों का आगमन इसी कारण होता है की तुम उनको छू कर देख सको और विराट, सामर्थ्यवान ईश्वर को छोटी सी इकाई में अनुभव कर सको। ईश्वर का वाक्य है कि उन्हें (अवतारों और दूतों को) मुझसे अलग मत पाना क्योंकि उनकी अंगुली मेरी अंगुली है, उनके पास अपनी कोई अंगुली नहीं।


९) मैं (ईश्वर) कौन हूँ, कहाँ हूँ, कैसा हूँ? बुद्धि से विचारते ही रह जाओगे। स्वीकार करो की तुम न्यून हो और प्रेम से प्रार्थना करो। तब मैं अप्रकट होते हुए भी प्रकट होने लगता हूँ।


१०) अवतारों या दूतों के वचन बाँटते नहीं हैं बल्कि तुमको सुख देने वाले और ईश्वर के पथ पर ले जाने वाले होते है। जिनको वचनों में दोष दिखाई नहीं देता वास्तव में उनपर ईश्वरीय अनुकम्पा है।



सोमवार, 19 जून 2023

ईशपुत्र के समाधी व समाधी से उठते हुए कुछ दुर्लभ चित्र

कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज के समाधी व समाधी से उठते हुए कुछ दुर्लभ चित्र

बुधवार, 14 जून 2023

कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज के शुभ दर्शन

कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी के कुछ चित्र पके लिए.....महायोगी जी को साधारणतय: देख कर उनकी दिव्यता और विराटता का अनुमान कोई नहीं लगा सकता.....एक ओर जहाँ महायोगी जी बहुत ही साधारण हैं......भारत भूमि के आदर्श नागरिक तो वहीँ दूसरी ओर महायोगी जी महाहिमालय के सबसे बड़े योगी भी हो सकते हैं इस बात पर सहज यकीन नहीं हो पाता.....लेकिन मायाधारियों की पहचान मुश्किल ही होती है....करोड़ों लोगों के प्रिय.....परम शिव भक्त महायोगी जी महाराज तो स्वयं शिवमय ही लगते हैं.....महायोगी जी के दर्शनों से साधकों को दिव्य लाभ प्राप्त होता हैं......कौलान्तक पीठाधीश्वर की ऐसी छवि मन को बरबस ही मोह लेती है.....महायोगी जी के सुन्दर चित्रों का यह संग्रह "कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज के शुभ दर्शन" आपको समर्पित                                                                  

परम तपस्वी स्वरुप अग्नियोगी ब्रह्म नाद धारी श्री सत्येन्द्र नाथ जी महाराज 
 सौम्य एवं साधक स्वरुप में महाराज जी की मनोहर छवि
 कौलान्तक पीठाधीश्वर महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज

 प्रपंच सार निर्मूलक सत्य मार्तंड आनंदघन

अनंत साधनाओं के महाज्ञाता रहस्य पीठाधीश्वर महायोगी जी

 है हिमशिखरों पे जो लीन सदा सर्वेश्वरानंद स्वरुप
 निस दिन बाहिरी  भीतर मैं ! ध्याऊँ  छवि तिहारी
 प्रकृति को भीतर उतार लेने की महारहस्यमयी ध्यान साधना

 तू क्रिया योग की मूर्ति गुरुवर ! तू ही हठ योग को सार

 हठ योग की महामुद्रा में पीठाधीश्वर महायोगी जी

 अद्भुत महासमाधि धरे जोगी चित्त विश्रांति में लीन

 गुरुवर तू ही इष्ट है ! तू ही गोत्र हमार
 कब आओगे जोगिया ये जग बाट निहारे तोरी
 चिर ध्यान में बैठे जोगी ! सदा  ! तप करे घनघोर
 लम्बी समाधी के बाद उठ कर आते श्रद्धेय महायोगी जी 

 हे राम! ना पग पे पुष्प तिहारे ना फूलन की माला 

 सतजुग का तू जोगिया काहे कलिजुग प्रगट भयो 

 तू साधना तप की मूर्ती जोगिया ! अद्भुत तेरा ज्ञान

 पग में सोहे प्रकृति ! सोहे मस्तक पे गिरिराज

 हिमालय पुत्र महायोगी ध्रुव ध्यान की अवस्था में  
 जलमध्ये ध्यान धरे जो सुरतिया ब्रह्म लीन

 तप की जीवंत प्रतिमा श्री योगेश्वर सत्येन्द्र नाथ जी योगी

 जिनके रोम रोम में बसे साधना मन ईशचरण में लीन 

 अरण्य में महायोगी जी उत्थित ध्यानावस्था धारे

 महायोगी जन जन तक आध्यात्मिक रहस्य पहुंचाते हुए 

 भारत के बिबिध चैनलों द्वारा ज्ञान विज्ञान का प्रसार  
आशा है कि हमारा ये प्रयास आपको अवश्य अच्छा लगा होगा....नए नए विशेष कार्यक्रमों के लिए व महायोगी जी एवं कौलान्तक पीठ तथा देश विदेश से जुडी हर खबर के लिए आप लगातार देखते रहिये कौलान्तक टीवी.....जहाँ धार्मिक चैनलों ने संतो से पैसे बटोर बटोर कर और पैसे ले कर केवल धनाधीशों को जनता के सम्मुख प्रस्तुत किया...वही हम इसके विपरीत एक सच्चे हिमालय के योगी का दिव्य ज्ञान आपके सामने ले कर उपस्थित हैं.....हम धन को नहीं मानवता को प्रमुखता देते हैं                                       
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शुक्रवार, 2 जून 2023

यक्ष साधना से इच्छापूर्ति


मनुष्य जीवन में अनेकों रहस्य हैं. जब जीवन शत्रुओं से भर जाए. हर और कोई शत्रु आपके विरुद्ध रणनीतियां बनता फिरता हो. राजदवार या न्यायलय तक बात पहुँच चुकी हो. कारागार में कोई पड़ा हो तो ऐसे समय में दुखी व्यक्ति कुछ नहीं कर पता. वो जहाँ भी सहायता मांगने जाता है वहीँ से उसे निराशा हाथ लगाती है. जब धन बल, बाहुबल कमजोर हो जाए. सत्ताएं व्यक्ति के विरुद्ध हो जाए तो उस स्थिति में यक्ष साधना डूबते तो जहाज जैसा सहारा देती है. यक्ष देवताओं से नीचे की योनी होती है किन्तु यक्ष सीधे-सादे सरल स्वाभाव के होते हैं. यदि साधक सही रीत जान ले कि कैसे किसी यक्ष को प्रसन्न करना है तो जीवन के संकटों से मुक्ति मिल सकती है. यक्षों को प्रसन्न करना भी सरल होता है. सबसे बड़ी बात तो ये है कि यक्ष मित्रवत व्यवहार करते हैं और जल्द नाराज नहीं होते.................