The world wide famous "Kaulantak Peeth" known for hidden knowledge and secrets has its own prime festival and its "Gupt Navaratri" and by its name one can known that this navaratri is a secret one. The sadhana procedure of this navaratri is not like the procedure of the main ones. This particular time is taken as very important. The Goddess of miracles "Kurukulla" or "Rakta Tara/Red Tara" with her full power indulges in the recreating this universe. In this time there is a huge karma kanda rituals and through "Kaul tradition", the worship of Goddess is carried out. In this time the worship of 64 yoginis, Ten Mahavidyas , Kritya, Matrika along with various other forms of Goddess is done with sadhana carried out too. The "Gupt Navaratri" is also called as Tantra time too. The "Gupt Navaratri" comes twice in a year and in the midst of playing of drums, tantric musical instrument the chakra puja , mandal pujan and awaran puja is carried out. A chakra puja in this time equals the fruit of worship of all gods and goddess. A mandal puja equals the woship of all universe. An awaran puja in this time takes the sadhak in the world of sadhana to its peak but a thing to be noted is that with whatever intention you do the sadhana it should be kept discrete. In this phase any inauspicious act etc the offence of the planets, intelligible time offence etc does not effect a sadhak. "Ishaputra-Kaulantak Nath" has told so many wish fulfilling mantras in his previous videos. For the sadhanas you can check his videos-Kaulantak Peeth Team-Himalaya.
गुप्त विद्या और रहस्यों के लिए विश्व भर में प्रसिद्द "कौलान्तक पीठ" का पर्मुख पर्व होता है "गुप्त नवरात्र" जैसा की नाम से ही विदित है की ये नवरात्र गोपनीय होते हैं। इसकी साधना आम तरीकों से नहीं होती। जैसा की प्रमुख नवरात्रों में होता है। ये समय अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। चमत्कारों की देवी "कुरुकुल्ला" यानि "रक्त तारा" इस काल में अपनी सम्पूर्ण शक्तियों के साथ ब्रह्माण्ड को नवनिर्मित करती है। इस काल में व्यापक कर्मकाण्ड करते हुए "कौल परम्परा" अनुसार देवी की साधनाएँ होती है। इस काल में चौंसठ योगिनी, दस महाविद्या, कृत्या, मातृका सहित देवी के कई स्वरूपों की स्तुति की जाती है व साधना संपन्न की जाती है। इन गुप्त नवरात्रों को तंत्र काल भी कहा जाता है। ये गुप्त नवरात्र भी वर्ष में दो बार आते हैं। ढोल नगाड़ों व तांत्रिक वाद्य यंत्रों के बीच चक्र पूजन, मंडल पूजन व आवरण पूजन सम्पन्न किया जाता है। एक चक्र पूजा इस काल में, सभी देवी-देवताओं की पूजा के बराबर फलदाई होती है। एक मंडल पूजा समस्त ब्रह्माण्ड की पूजा के बराबर होती है। एक आवरण पूजा, साधक को साधना जगत में बहुत ऊँचा उठा देती है . लेकिन एक समस्या है की इस दौर में आप किस उद्देश्य से साधना कर रहे हैं ये गोपनीय ही रहना चाहिए। इस काल में कोई सूतक-पातक आदि ग्रह दोष, मुहूर्त दोष आदि नहीं लगते। "ईशपुत्र-कौलान्तक नाथ" नें बहुत से इच्छापूरक मंत्रो के बारे में पहले ही विडिओ में बताया है। आप साधना के लिए विडिओ देख सकते हैं-कौलान्तक पीठ टीम-हिमालय।
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