योग ग्रंथ हमें बताते हैं कि आपके भीतर अद्भुत क्षमताएं है और शक्तियां समाहित है। किंतु मेरा अनुभव है कि कुंडलिनी जैसी अद्भुत क्षमता के लिए एक योगी को योग तपस्या के कठिन मार्ग में तपना ही होगा। नाद योग से लेकर पाशुपत योग तक, हठयोग से लेकर राजयोग तक, विशाल शिलाओं से लेकर भूमि की गर्भ गुफाओं तक, साधारण प्राणायाम से लेकर, नेति, धोती, नौली, बस्ति आदि क्रियाओं तक हर संभव प्रयास और अभ्यास गुरु निर्देश में करना चाहिए। योग साधना और तपस्या ऋषि मुनियों और हिमालय के सिद्धों की मनुष्यता को एक महान देन है। गुरु के मार्गदर्शन में आपको वो प्राप्त होगा जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी! मैं अनुभव से कह रहा हूं इसलिए अपनी क्षमताओं और शक्ति की प्राप्ति के लिए जटिल मार्ग से डरो नहीं! आगे बढ़ो और अभ्यास करो। स्वयं जान जाओगे की सत्य क्या है।
- महायोगी सत्येन्द्र नाथ जी महाराज